धींगपुर गांव में श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ एवं दुर्गा पाठ की भक्ति में डूबे भक्तगणशिवपुरी/पोहरी। पोहरी अनुभाग के धींगपुर गांव स्थित श्री हनुमान जी के मंदिर प्रांगण में दिनांक 11 अप्रैल से 18 अप्रैल 2025 तक चलने वाले श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ एवं दुर्गाजी के पाठ का शुभारंभ भव्य मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य गांव में आध्यात्मिक चेतना का जागरण और सामूहिक भक्ति भाव को बढ़ावा देना है। इस धर्मोत्सव में कथा वाचक पं. श्री संजय व्यास श्रीधाम वृन्दावन गोंदरी वाले द्वारा अपने ओजस्वी वाणी से श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का रसपान करवा रहे हैं। आज की कथा में सृष्टि की उत्पत्ति, कपिल अवतार की महिमा तथा सती चरित्र की लीलाओं का अद्भुत वर्णन हुआ।
कथा वाचक पं. श्री संजय व्यास ने अपने ओजस्वी शैली में बताया कि कैसे ब्रह्मा जी ने चारों वेदों के सार को लेकर सृष्टि का विस्तार किया, कैसे कपिल मुनि ने भक्त ध्रुव और माता देवहुति को सांख्य योग का उपदेश दिया, और कैसे सती माता ने अपने आत्मसम्मान हेतु पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया। इन प्रसंगों ने उपस्थित श्रोताओं को न केवल ज्ञान का बोध कराया, बल्कि भक्ति, त्याग और तपस्या के महत्व को भी उजागर किया। सती चरित्र की कथा सुनते समय पूरे पंडाल में संवेदना और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। मुख्य यजमान श्रीमती लीला-अखयसिंह धाकड़ और श्रीमती भगवती राजाराम धाकड़ एवं श्रीमति मीना -अगोनी लाल धाक? द्वारा इस धार्मिक उत्सव का आयोजन किया गया है।
जनमानस में उत्साह, भक्ति का प्रवाह
प्रत्येक दिवस कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्त भाव विभोर होकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और संत महापुरुषों की कथाओं का श्रवण कर रहे हैं। व्यास पीठ से निकली दिव्य वाणी ने ग्रामवासियों को श्रद्धा और संयम की दिशा में प्रेरित किया है। आयोजकों की ओर से सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे इस धर्ममय अवसर का लाभ लें और समाज में धर्म, सेवा और संस्कार को पुन: जाग्रत करें।
जनमानस में उत्साह, भक्ति का प्रवाह
प्रत्येक दिवस कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्त भाव विभोर होकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और संत महापुरुषों की कथाओं का श्रवण कर रहे हैं। व्यास पीठ से निकली दिव्य वाणी ने ग्रामवासियों को श्रद्धा और संयम की दिशा में प्रेरित किया है। आयोजकों की ओर से सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे इस धर्ममय अवसर का लाभ लें और समाज में धर्म, सेवा और संस्कार को पुन: जाग्रत करें।
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