सर्किल जेल में बंदियों ने मनाया बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का 134 वा जन्मोत्सव
शिवपुरी-भारतीय संस्कृति एवं आर्ष ग्रन्थों में केवल संत सुधारक एवं शहीद ही सम्मान के अधिकारी होते हैं जिनका कोई वर्ण, वंश, लिंग क्षेत्र एवं जाति नहीं होती है, वह स्वयं को केवल और केवल परमात्मा की सन्तान मानकर ईश्वरीय अनुशासन का पालन करते हैं, बाबा साहेब आंबेडकर के द्वारा समाहित विधिसम्मत कानूनों विधेयकों का प्रभाव है कि जेल यातना गृह भी सुधार गृह बनते जा रहे हैं। बंदी भाईयों को भी अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का पूर्ण अवसर प्रदान किया जाता है। उक्त उद्गार डॉ पी के खरे जिला समन्वयक गायत्री परिवार शिवपुरी द्वारा महान समाज सुधारक भारत रत्न संविधान सभा के सभापति बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर सर्किल जेल शिवपुरी में आयोजित समारोह में व्यक्त किए। समारोह का शुभारंभ देव पूजन एवं बाबासाहेब आंबेडकर जी के पूजन पश्चात दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर सर्किल जेल शिवपुरी के अधीक्षक रमेश चंद्र आर्य ने बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महू में अभावों से ग्रसित परिवार में जन्मे बाबा साहब ने अपनी योग्यता विचारशीलता, प्रखरता एवं दूरदृष्टी से संविधान सभा के सभापति तक का सफर तय किया एवं विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान दिया। मध्यप्रदेश सरकार ने जेलों में सजा भुगत रहे ऐसे बंदियों को जिन्होंने लगातार अच्छा आचरण बनाए रखने हुए अपनी आजीवन कारावास की सजा के चौदह वर्ष पूरे कर लिये है ऐसे लगभग 100 बंदियों को आज प्रदेश की जेलों से रिहा करने के आदेश जारी किए हैं। आज के कार्यक्रम के इस अवसर पर एक बंदी भाई गोपाल ने भी बाबा साहेब द्वारा निर्मित कानूनों की जानकारी देते हुए बाबा साहेब का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन सामूहिक रूप से उपस्थिति बंदियों एवं जेल स्टाफ द्वारा किया गया।
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