श्रीमती कथा यजमान ममता-सुरेन्द्र शर्मा द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में हुआ गोवर्धन लीला का भावपूर्ण प्रसंगशिवपुरी- जिला मुख्यालय पर श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन फतेहपुर चौराहा स्थित कथा पांडाल में भक्ति, श्रद्धा और आनंद का अनुपम संगम देखने को मिला। पूज्य श्री दिनेश चंद्र भारद्वाज जी महाराज ने आज के कथा प्रसंग में गोवर्धन पूजा और रुक्मिणी विवाह की दिव्य झांकी प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथा श्रवण करने के लिए श्रद्धालुओं की विशाल संख्या उमड़ी और पूरे वातावरण में जय श्रीकृष्ण के जयघोष गूंज उठे। महाराज श्री ने बताया कि जब देवराज इंद्र अपने घमंड में चूर होकर ब्रजवासियों पर वर्षा रूपी आपदा लाए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सात दिन तक ब्रजवासियों की रक्षा की। यह प्रसंग केवल एक चमत्कार नहीं, अपितु यह प्रमाण है कि राजा इंद्र नहीं, स्वंय श्रीकृष्ण ही सच्चे आराध्य और संरक्षक हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया कि ब्रह्मांड का संचालन करने वाला कोई और नहीं, स्वयं ठाकुर जी हैं।
गौ, गंगा और गीता – यही हैं श्रीकृष्ण की सच्ची पहचान
महाराज श्री दिनेशचन्द्र भारद्वाज ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति गौ माता की सेवा करता है, वह वास्तव में स्वंय ठाकुर जी की सेवा करता है। क्योंकि श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन गौ, ग्वाल और गोवर्धन से जुड़ा है। गौ सेवा, आत्म सेवा है – यह न केवल धर्म है बल्कि हमारे जीवन का आधार है। गोवर्धन पूजा का यही संदेश है कि प्रकृति, पशु और मनुष्य में सामंजस्य बना रहे, तभी सच्चा धर्म स्थापित होता है। इस अद्भुत दिन के विशिष्ट यजमान रहे श्री श्यामलाल शर्मा जी एवं श्री सुरेन्द्र-रानी शर्मा (डिघर्रा बंधू), जिन्होंने सपरिवार कथा श्रवण और पूजन कर धर्म लाभ प्राप्त किया। यजमान परिवार की श्रद्धा और सेवा भाव समस्त आयोजन समिति एवं श्रोताओं के लिए प्रेरणादायक रहा। श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव 6 अप्रैल से प्रारंभ होकर 12 अप्रैल तक प्रतिदिन संगीतमय शैली में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर से भक्तगण भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
महाराज श्री दिनेशचन्द्र भारद्वाज ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति गौ माता की सेवा करता है, वह वास्तव में स्वंय ठाकुर जी की सेवा करता है। क्योंकि श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन गौ, ग्वाल और गोवर्धन से जुड़ा है। गौ सेवा, आत्म सेवा है – यह न केवल धर्म है बल्कि हमारे जीवन का आधार है। गोवर्धन पूजा का यही संदेश है कि प्रकृति, पशु और मनुष्य में सामंजस्य बना रहे, तभी सच्चा धर्म स्थापित होता है। इस अद्भुत दिन के विशिष्ट यजमान रहे श्री श्यामलाल शर्मा जी एवं श्री सुरेन्द्र-रानी शर्मा (डिघर्रा बंधू), जिन्होंने सपरिवार कथा श्रवण और पूजन कर धर्म लाभ प्राप्त किया। यजमान परिवार की श्रद्धा और सेवा भाव समस्त आयोजन समिति एवं श्रोताओं के लिए प्रेरणादायक रहा। श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव 6 अप्रैल से प्रारंभ होकर 12 अप्रैल तक प्रतिदिन संगीतमय शैली में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर से भक्तगण भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
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