शिवपुरी-भारतीय संस्कृति ,विश्वकी प्राचीन तम देव संस्कृति है, जिसका मूलाधार अध्यात्म है। अपने आपको जानना अपने को श्रेष्ठ बनाना अच्छा सांचा बनकर अपनी भावी पीढ़ी को संस्कारवान् बनाना हमारा कर्तव्य है जिसके लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार की ज्योति कलशयात्रा शान्ति कुंज हरिद्वार से चलकर हमारे नगर नरवर में पहुंची , परमपूज्य गुरुदेव पं श्री राम शर्मा आचार्य का सन्देश दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने विचारों का बदलाव हीअसुरतासे रक्षा एवं धरती पर स्वर्ग मय वातावरण बनाने का एकमात्र उपाय है यही गायत्री परिवार का मंत्र है युग बदलने के लिए। अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा जिला शिवपुरी के समन्वयक डॉ प्रमोद कुमार खरे ने बतलाया कि हमारे सद्ग्रंथों के अनुसार ईश्वर जीव प्रकृति एवं काल सत्य है।ईश्वर शेष तीनों का नियंता है । नियंता ने हमें इस संसार में जन्मसे लेकर मृत्यु तक की समयावधि अर्थात जीवन दिया है इस समयावधि में हमें कर्म करने अपने आपको बनाने की पूर्ण स्वतन्त्रता दी है यह आपके विवेक सोच पर निर्भर करता है कि आप राम-रावण,कृष्ण- कंस, दुर्योधन -युधिष्टर, महावीर बुद्ध तुलसी कबीर दयानंद विवेकानंद महर्षि अरविन्द पं श्रीराम शर्मा आचार्य गांधी जी आदि की तरह क्या बनना चाहेंगे इन सबकी तरह बनने के लिये हमें भारतीय संस्कृति में निहित आदर्श परम्परा यों एवं संस्कारों को, व्यक्ति निर्माण की टकसाल संयुक्त देव परिवारों को पुन: स्थापित करना होगा। नर -दमयंती की नगरी नरवर के धर्मप्रेमी श्रृद्धालु राजकुमार जैन, कैलाश कुशवाहा, डॉ मुकेश भार्गव, प्रताप कुशवाहा श्रीमती सेंगर ,जयकरन भदौरिया राकेश कुशवाहा अभिषेक कुशवाहा परिहार जी। उपस्थित रहे सभी ने एक एक बुराई छोडऩे का संकल्प लिया।
शिवपुरी-भारतीय संस्कृति ,विश्वकी प्राचीन तम देव संस्कृति है, जिसका मूलाधार अध्यात्म है। अपने आपको जानना अपने को श्रेष्ठ बनाना अच्छा सांचा बनकर अपनी भावी पीढ़ी को संस्कारवान् बनाना हमारा कर्तव्य है जिसके लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार की ज्योति कलशयात्रा शान्ति कुंज हरिद्वार से चलकर हमारे नगर नरवर में पहुंची , परमपूज्य गुरुदेव पं श्री राम शर्मा आचार्य का सन्देश दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने विचारों का बदलाव हीअसुरतासे रक्षा एवं धरती पर स्वर्ग मय वातावरण बनाने का एकमात्र उपाय है यही गायत्री परिवार का मंत्र है युग बदलने के लिए। अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा जिला शिवपुरी के समन्वयक डॉ प्रमोद कुमार खरे ने बतलाया कि हमारे सद्ग्रंथों के अनुसार ईश्वर जीव प्रकृति एवं काल सत्य है।ईश्वर शेष तीनों का नियंता है । नियंता ने हमें इस संसार में जन्मसे लेकर मृत्यु तक की समयावधि अर्थात जीवन दिया है इस समयावधि में हमें कर्म करने अपने आपको बनाने की पूर्ण स्वतन्त्रता दी है यह आपके विवेक सोच पर निर्भर करता है कि आप राम-रावण,कृष्ण- कंस, दुर्योधन -युधिष्टर, महावीर बुद्ध तुलसी कबीर दयानंद विवेकानंद महर्षि अरविन्द पं श्रीराम शर्मा आचार्य गांधी जी आदि की तरह क्या बनना चाहेंगे इन सबकी तरह बनने के लिये हमें भारतीय संस्कृति में निहित आदर्श परम्परा यों एवं संस्कारों को, व्यक्ति निर्माण की टकसाल संयुक्त देव परिवारों को पुन: स्थापित करना होगा। नर -दमयंती की नगरी नरवर के धर्मप्रेमी श्रृद्धालु राजकुमार जैन, कैलाश कुशवाहा, डॉ मुकेश भार्गव, प्रताप कुशवाहा श्रीमती सेंगर ,जयकरन भदौरिया राकेश कुशवाहा अभिषेक कुशवाहा परिहार जी। उपस्थित रहे सभी ने एक एक बुराई छोडऩे का संकल्प लिया।
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