राधास्वामी सत्संग के नवनिर्मित मोहरा शाखा का हुआ उद्घाटनशिवपुरी-वो भूमि बड़ी पावन है जहां सत्संग होता है, सत्संग परमात्मा के नाम का गुणगान है, जो जीव सत्संग में आता है उसका हर विधि कल्याण होता है, सत्संग सत्य का संग है और सत्य केवल परमात्मा है, यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील के गांव में राधास्वामी सत्संग दिनोद की नवनिर्मित मोहरा शाखा का उद्घाटन के अवसर पर आयोजित सत्संग कार्यक्रम में फरमाए।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा प्रांत में स्थित राधास्वामी सत्संग दिनोद की पूरे देश भर में 55 शाखाएं हैं। इसी कड़ी में हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने मध्यप्रदेश में दूसरी शाखा का उद्घाटन सत्संग वचन फरमा कर किया। गुरु महाराज जी ने कहा कि जिस प्रकार एक बीज अनेकों बीज पैदा करता है वैसे ही एक भक्ति करने वाला अनेकों भक्त पैदा करता है, अपनी कमियों को दूर करके सत्संकल्प धारण करके हम कुछ भी कर सकते हैं, जिसका विश्वास दृढ़ है उसके लिए असंभव कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि हम एक दूसरे से दुनियादारी की वस्तुओं के लिए तो प्रतिस्पर्धा करते हैं परंतु इस बात को लेकर कोई नहीं सोचता कि मेरे अंदर उससे ज्यादा दयाभाव हो,भक्ति हो प्रेम हो।
हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि आज आपके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी काम आते हैं।आपके सतगुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होते हैं।उन्होंने कहा कि थोड़ा बहुत प्रभु का जिक्र करने भर से भी आपके सारे काम परमात्मा करता है तो ऐसे में यदि आप सोते बैठते जागते चलते फिरते परमात्मा को स्मरण रखो तो सोचो वो भी आपकी हर पल कितनी संभाल करेगा।इंसानी चोले की चाहना हर कोई करता है लेकिन इंसान इसकी कदर ही नहीं कर रहा।हम इस अनमोल अवसर को शराब मांस और अन्य विषयों में फंसा कर रखते हैं।हम समय की भी कद्र नहीं करते। केवल निद्रा और विषय भोग में गाफिल होकर इस इंसानी चोले को व्यर्थ गंवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार धन को बैंक के लॉकर में रखकर हम भविष्य को सुरक्षित रखते हैं वैसे ही भक्ति रूपी धन का संचय करके हम ना केवल अपने जगत को संवारते हैं बल्कि अपने अगत को भी सुरक्षित रखते हैं। हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने कहा कि नाम की खूबी यही है कि वो आपको एक ही पल में पवित्र कर देता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने अपना संपूर्ण स्वरूप इंसान के रूप में धरती पर उतारा है लेकिन इंसान इस जगत धारा में बहा जाता है। अपनी रचना को इस जगत धारा से उबारने के लिए प्रभु ने संतो को धरा पर भेजा। इस अवसर पर समाजसेवी दीपक गोयल दादा ने सपत्निक महाराजश्री से मिलकर आर्शीवाद प्राप्त किया।
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