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Friday, February 7, 2025

घुमंतू समाज अपने धर्म के लिए जीता है :सोलंकी


घुमंतू एवं अर्धघुमंतू समाज का सामाजिक सम्मेलन संपन्न

शिवपुरी-घुमंतू एवं अर्ध घुमंतू समाज का सामाजिक सम्मेलन एक निजी गार्डन में बहुत उत्साह और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सुरेन्द्र सोलंकी प्रांतीय प्रमुख सेवा भारती ने घुमंतू समाज पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि घुमंतू समाज अपने व्यवसाय के लिए नहीं बल्कि धर्म के लिए जीता है। उन्होंने कहा कि बाहर से आए हुए शासकों ने घुमंतू समाज के साथ  अन्याय और अत्याचार किए हैं। जिसको हमने भी नजर अंदाज किया। जिसके कारण आज वह समाज की मुख्य धारा से दूर हैं। लेकिन अब उन्हें मुख्य धारा लाने का महान कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने घुमंतू समाज के मनोबल को बढ़ाते हुए उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और मकान देकर समाज के अन्य लोगों के समान अधिकार प्राप्त हों इसके लिए संघ द्वारा विशेष प्रयास करने की बात कहीं। 

कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित समाज प्रमुखों ने अपनी-अपनी बात और समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मेलन के पश्चात घुमंतू एवं अर्ध घुमंतु समाज का सामाजिक सम्मेलन में हमारी ही शौर्य जातियां कैसे हमारे सबके ध्यान में आए इस भाव से नगर में शोभा विशाल शोभा यात्रा निकाली गई, जिसका नगर वासियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। जिससे सदैव प्रताडऩा मिले हृदयों को अपनापन का भाव मिला। इस यात्रा का समापन माधव चौक चौराहे पर भारत मां की आरती के पश्चात किया गया। यहां मुख्य वक्ता के रूप में हेमंत सेठिया प्रांत कार्यवाह, सुरेंद्र सोलंकी प्रांतीय प्रमुख सेवा भारती, घुमंतू एवं अर्ध घुमंतु जनजाति कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रमेश बंजारा, पुलिस अधीक्षक अमन राठौड़, लखन विश्वकर्मा व नगर से पधारे सभी गणमान्य बंधु एवं मातृशक्ति,घुमंतू एवं अर्ध घुमंतु जनजाति के समाज के लोगों ने बढ़-चढ़कर बड़े ही उत्साह के साथ भागीदारी की और अपनी समस्याओं को मंच के सामने रखा। यह मात्र सबका मिलन था। अब कार्य आरंभ करना होगा मां भारती को पुन:परम पद पर आरूढ़ कर सकें।

रंगारंग कार्यक्रम की दी प्रस्तुतियां
घुमंतू एवं अर्धघुमंतू समाज के सामाजिक सम्मेलन में घुमंतू समाज के लोगों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियां दी। इनके द्वारा दी गई प्रस्तुतियों को देखकर उपस्थित जनसुमदाय गदगद और रौमांचित हो उठा। लोगों का कहना था कि घुमंतू समाज के लोग आज भी अपनी परंपराओं और संस्कृति को समेंटे हुए हैं। भौंतिक चकाचौद और पश्चात संस्कृति से दूर रहते हुए अपने सिद्धांतों को लेकर जी रहे हैं।

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