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Shishukunj

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Monday, December 23, 2024

जैसा मन होता है उसी के अनुरूप बनती हैं परिस्थितियां: अशोक ढोंके


गायत्री शक्तिपीठ फिजीकल रोड पर हुआ गायत्री महायज्ञ का समापन

शिवपुरी-अखिल विश्व गायत्री परिवार के संरक्षक संस्थापक युगदृष्टा तपोनिष्ट वेद मूर्ति पं श्रीराम शर्मा आचार्य, जिन्होंने गायत्री साधना का अधिकार, हर उस व्यक्ति को सरल बना दिया जो एक सच्चे लोकसेवी बनकर समाज को बदलने की आकांक्षा अपने दिल में समाये हुए थे एवं समाये हुए हैं, समाज का स्वरूप समाज की इकाई व्यक्ति के गुण कर्म स्वभाव एवं चरित्र का प्रतिफल होता है। जैसा मन होता है परिस्थितियां उसी के अनुरूप बनती हैं अत: मन:स्थिति के बदलाव द्वारा ही सम्भव है। दण्ड प्रक्रियायों द्वारा नहीं। मन:स्थिति में सार्थक बदलाव केवल और केवल भारतीय संस्कृति की आत्मा अध्यात्म में निहित है। जिसके व्यवहारिक रूप से दूरी के कारण विनाशकारी परिस्थितियां से सारा संसार संतृप्त है एवं भारत की और टकटकी लगाए हुए है। उक्त विचार गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे विद्वजनों के टोली नायक अशोक ढोंके द्वारा गायत्री शक्तिपीठ फिजीकल रोड शिवपुरी पर आयोजित गायत्री महायज्ञ के समापन दिवस पर व्यक्त किये। सभी आत्मीय परिजनों को क्षेत्रे-क्षेत्रे-धर्मम् कुरु, का निवेदन किया। प्रेरित 70 युवाओं एवं सैकड़ों वरिष्ठ परिजनों ने व्यक्ति गत परिचय सहित संकल्प पत्र भर गायत्री परिवार के सप्त आन्दोलनों में सहभागिता सुनिश्चित की।

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