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Sunday, December 1, 2024

सामाजिक संस्कारों और स्वास्थ्य शिक्षा से एडस जैसे रोग से बचा जा सकता है-ः डॉ संजय ऋषीश्वर


विश्व एडस दिवस सप्ताह का शुभारंभ हुआ।

शिवपुरी - समाजिक संस्कारों और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से ही एडस जैसे रोगों से बचा जा सकता है। भावी पीढी का एडस से बचाव के लिए स्वास्थ्य शिक्षा अनिवार्य होना चाहिए। यह कहना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय ऋषीश्वर का है वह विश्व एडस दिवस के अवसर पर आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम कार्यक्रम मे उपस्थित स्वास्थ्य कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे।

जिला चिकित्सालय शिवपुरी के सभागार में विश्व एडस दिवस सप्ताह का आयोजन किया गया था। जिसमें अतिथियों के द्वारा ज्ञान की देवी सरस्वती के चित्र पर घुपदी प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण कर एडस दिवस का शुभारंभ किया गया। उसके उपरांत मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए सीएमएचओ डॉ संजय ऋषीश्वर ने कहा कि एडस से ग्रसित जितने भी रोगी है  उनके उपचार एवं स्वास्थ्य की जबावदारी स्वास्थ्य महकमे की है, लेकिन स्वास्थ्य अमले के ही एडस रोग से संक्रमित होने के सबसे अधिक संभावना होती है। इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों को अपने बचाव भी देना होगा। विभाग द्वारा पूर्व से निर्धारित मानक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुरक्षित प्रसव कराना, उपकरणों को भी जीवाणु रहित करना, इंजेक्शन की सुई सहित चिकित्सकीय कचरे का निषपादन आदि पूर्व निर्धारित मापदंडों के अनुरूप करना चाहिए। 

सीएमएचओ डॉ ऋषीश्वर ने कहा कि शिवपुरी जिले में एडस रोगियों की संख्या में विस्तार स्मैक के नशे के कारण हो रहा है। सरकार ने एडस रोगियों को केवल बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाए ही उपलब्ध नही कराई बल्कि उनके आर्थिक एवं समाजिक सुरक्षा के लिए नौकरियों में पद सुरक्षित किए हैं। पिछले दिनों शिवपुरी जिले में एडस रोगी के लिए आरक्षित पद पर नियुक्त करने के लिए स्वस्थ्य 60 लोगों के आवेदन निरस्त कर दिए गए थे दो आवेदकों का साक्षात्कार लेकर उनमें से एक की नियुक्ति की गई ।

 कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी एवं नोडल अधिकारी डॉ अलका त्रिवेदी ने कहा कि एक से अधिक सेक्स पाटनर रखने वाले महिला-पुरूष एडस जैसे गंभीर रोग की चपेट में आते है। इतना ही नही है असुरक्षित सुई, ब्लेड, उस्तरा, रक्त भी उतने ही खतरनाक है जितना असुरक्षित यौन संपर्क है। 1200 एडस रोगियों का उपचार कर रहे शिवपुरी जिले में स्थिति महानगरों की अपेक्षा खासी नियंत्रण में है। जिले में सुई से नशा करने वालों लोंगो के कारण एडस जैसा रोग फैल रहा है। 

डॉ अलका त्रिवेदी ने बताया कि जिले में एडस रोगियों की पहचान गुप्त रखने के साथ ही उनकी जांच के लिए एआर सेंटर प्रारंभ किए गए हैं इसके अलावा रेड रिबन ग्रुप भी बनाए गए है जो जन जागरूकता का कार्य कर रहे हैं।   

कार्यक्रम के उपरांत स्वास्थ्य कर्मचारियों के द्वारा मानव श्रृखंला बनाई गई और शहर के प्रमुख मार्गो से रैली निकाल कर जन जागरूकता  का संदेश दिया गया।   

 कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी डॉ अलका त्रिवेदी, डॉ योगेन्द्र रधुवंशी, डॉ रविन्द्र सिह, डॉ संकल्प जैन,डॉ ब्रजेश मंगल, एडस काउंसलर साजिद खान विशेष रूप से उपस्थित थे।

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