शिवपुरी-मामला इस प्रकार हे श्रीराम ट्रांसपोर्ट कंपनी ने अभियुक्त अनूप सिंह चौहान के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया कि अभियुक्त ने परिवादी श्रीराम ट्रांसपोर्ट कंपनी से अनुबंध कर वाहन कमांक एम.पी.33/सी 3196 स्कॉर्पियो कय करने हेतु ऋण प्राप्त किया था. जिसका भुगतान परिवादी को अभियुक्त द्वारा किया जाना था. लेकिन अभियुक्त द्वारा नहीं किया गया। अभियुक्त से राशि मांग करने पर उसने ऋण के दायित्व के आंशिक उन्मोचन हेतु स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा शिवपुरी का चैक राशि 245.000/- रूपये का परिवादी कंपनी को स्वयं के हस्ताक्षर कर भरा हुआ दिया था।
परिवादी ने जब उक्त चेक खाते में भुगतान हेतु प्रस्तुत किया तो बैंक द्वारा उक्त चेक खाते में अपर्याप्त निधि होने की टीप के साथ वापस कर दिया। जिसके संबंध में परिवादी द्वारा अभिभाषक के माध्यम से चेक में वर्णित राशि की मांग करते हुए पंजीकृत सूचना पत्र अभियुक्त को प्रेषित किया, किन्तु सूचना पत्र प्राप्त होने के उपरांत भी अभियुक्त द्वारा परिवादी से ली गई धनराशि उसे अदा नहीं की गई। उक्त आधारों पर परिवादी कंपनी द्वारा धारा 138 परकाम्य लिखत अधिनियम के अंतर्गत अभियुक्त को दंडित किये जाने बावत् परिवाद न्यायालय में पेश किया गया।
जिसमे अधीनस्थ न्यायालय द्वारा आरोपी को दोषमुक्त करते हुए निर्णय पारित किया गया उक्त निर्णय के विरुद्ध श्रीराम ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा अपील सत्र न्यायालय में प्रस्तुत की गई जिसमे अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष आई संपूर्ण लेखीय व मौखिक साक्ष्य एवं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अंकित वर्मा द्वारा प्रतिपरीक्षण में दी गई चुनौती तथा विभिन्न उच्चतम न्यायदृष्टांतो के आलोक में अपील न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय के दोषमुक्ति का निर्णय दोषपूर्ण न होने से प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमान विवेक शर्मा ने हस्तक्षेप योग्य न पाते हुए निर्णय यथावत रख कंपनी की अपील निरस्त कर आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया है।उक्त प्रकरण में अभियुक्त की ओर से पैरवी अंकित वर्मा अधिवक्ता द्वारा की गई।
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