शिवपुरी-डीएपी खाद को विकल्प के रूप में एपीके का उपयोग किसान करें और पैदावार बढ़ाऐं, यह जानकारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एस. एस. जाटव ने दी जिन्होंने विकासखंड शिवपुरी द्वारा कृषकों को बताया कि डीएपी खाद का वैकल्पिक खाद एनपीके है जो बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिसका प्रयोग किसान रबी फसल की बुवाई में कर सकते हैं। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी। बाजार में उपलब्ध इस मिश्रित उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा मौजूद है। गेहूं चना, सरसों की बुवाई में डीएपी के स्थान पर उक्त खाद का प्रयोग किया जा सकता है। उसके अलावा सबसे अधिक कारगर तिलहनी फसलों के लिए खाद सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक है। इसे बाजार में एसएसपी के नाम से भी जाना जाता है। डीएपी की जगह उक्त खाद का इस्तेमाल उतना ही लाभ देगा जितना डीएपी। इसमें फास्फेट, सल्फर एवं कैल्शियम पाया जाता है। सरसों की बुवाई में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट प्रयोग करना चाहिए। उक्त खाद भी रबी फसल के लिए बेहतर वैकल्पिक खाद हो सकता है। इससे फसल का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। किसानों से डीएपी की जगह उक्त खादों का इस्तेमाल कर खेती करने की सलाह दी है।
शिवपुरी-डीएपी खाद को विकल्प के रूप में एपीके का उपयोग किसान करें और पैदावार बढ़ाऐं, यह जानकारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एस. एस. जाटव ने दी जिन्होंने विकासखंड शिवपुरी द्वारा कृषकों को बताया कि डीएपी खाद का वैकल्पिक खाद एनपीके है जो बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिसका प्रयोग किसान रबी फसल की बुवाई में कर सकते हैं। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी। बाजार में उपलब्ध इस मिश्रित उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा मौजूद है। गेहूं चना, सरसों की बुवाई में डीएपी के स्थान पर उक्त खाद का प्रयोग किया जा सकता है। उसके अलावा सबसे अधिक कारगर तिलहनी फसलों के लिए खाद सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक है। इसे बाजार में एसएसपी के नाम से भी जाना जाता है। डीएपी की जगह उक्त खाद का इस्तेमाल उतना ही लाभ देगा जितना डीएपी। इसमें फास्फेट, सल्फर एवं कैल्शियम पाया जाता है। सरसों की बुवाई में डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट प्रयोग करना चाहिए। उक्त खाद भी रबी फसल के लिए बेहतर वैकल्पिक खाद हो सकता है। इससे फसल का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। किसानों से डीएपी की जगह उक्त खादों का इस्तेमाल कर खेती करने की सलाह दी है।
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