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Tuesday, October 1, 2024

चैक बाउंस मामले में आरोपी को 6 माह का सश्रम कारावास व 1 लाख 77 हजार 750 रूपये प्रतिकर से किया दण्डित


प्रतिकर जमा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किया

शिवपुरी- एक-दूसरे से परिचित होने के कारण उधार लिए ऋण को नहीं चुकाने वाले आरोपी को माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी  न्यायालय के द्वारा अभियुक्त को धारा 138 परक्राम्य लिखित अधि. के अंतर्गत दोषी पाते हुए 6 माह का सश्रम कारावास एवं 1 लाख 77 हजार 750 रूपये प्रतिकर के रूप में परिवादी को दिए जाने का आदेश पारित किया। प्रतिकर की राशि अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगताए जाने का आदेश पारित किया गया। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।

परिवाद के अनुसार परिवादी सुब्बा शाह निवासी लक्ष्मीनिवास के सामने,एबी रोड़ शिवपुरी से परिचित होने के चलते अभियुक्त बृजेश राठौर पुत्र हरिराम राठौर निवासी आजाद मार्ग, सईसपुरा शिवपुरी एक-दूसरे से भलीभांति परिचित थे। परिवादी सुब्बा शाह से आरोपी बृजेश राठौर ने अपनी पारिवारिक एवं व्यावसायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 1 लाख रूपये की राशि 01.01.2016 को प्राप्त किए थे और उधार ली गई राशि का एक 05.04.2016 का चैक भुगतान हेतु प्रदत्त किया था। जब परिवादी सुब्बा शाह ने प्रदत्त चैक अपनी बैंक शाखा ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स शाखा शिवपुरी में जमा किया तो बैंक द्वारा अपर्याप्त राशि के कारण वापिस प्राप्त हुआ। 

उक्त चैक बाउंस हो जाने के बाद चैक राशि की मांग हेतु अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से 15 दिवस का नोटिस आरोपी बृजेश राठौर को भेजा गया। परिवादी सुब्बा शाह ने माननीय न्यायालय के समक्ष धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम के तहत परिवाद अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से प्रस्तुत किया। दोनों पक्षों की साक्ष्य प्रस्तुत होने के बाद माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालय के द्वारा अभियुक्त बृजेश राठौर को धारा 138 परक्राम्य लिखित अधि. के अंतर्गत दोषी पाते हुए 6 माह का सश्रम कारावास एवं 1 लाख 77 हजार 750 रूपये प्रतिकर के रूप में परिवादी सुब्बा शाह को दिए जाने का आदेश पारित किया। प्रतिकर की राशि अदा ना करने पर एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास पृथक से भुगताए जाने का आदेश पारित किया गया। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव एवं सहयोगी अधिवक्ता अशपाक खान, अजय शाक्य, हैदर खान के द्वारा की गई।

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