Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Sunday, October 27, 2024

ज्योतिष मत के अनुरूप 01 नवम्बर को श्रेष्ठकारी है दीपावली पूजन : ज्योतिर्विद पं.रामरतन शास्त्री


दीप पर्व दीपावली को लेकर ज्योतिष के अनुसार बताया पूजन का महत्व

शिवपुरी- वर्तमान समय में दीप पर्व दीपावली को लेकर लोगों में भ्रमताऐं है कि वह कब दीपावली मनाऐं लेकिन हम ज्योतिष के अनुसार बताए तो दीपावली का पूजन 01 नवम्बर को श्रेष्ठकर है, दीपावली का उत्सव हरेक घर में हो इसे लेकर घर-घर लक्ष्मी वास के रूप में दीपावली पूजन ज्योतिषीय मत के अनुसार 01 नवम्बर को श्रेष्ठकारी बताया गया है यह इसलिए क्योंकि ज्योतिष में पंचाग का अभिमत लेकर इस दिन को सही माना है। ज्योतिष के अनुसार दीपावली 01 नवम्बर को मनाए जाने को लेकर यह बात कही ज्योतिर्विद पं.रामरतन शास्त्री (शेरगढ़ वाले)निवासी खोड़  जो स्थानीय राघवेन्द्र नगर निवासी समाजसेवी कृष्णकुमार गुप्ता के निवास पर पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान दीपावली के मनाए जाने वाले दिन के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे थे।

ज्योतिर्विद पं.रातमन शास्त्री ने बताया कि प्रदेषकाल में अमास्वस्या रहे उसी दिन दीपावली मनाई जानी चाहिए, हालांकि इसका एक अर्थ अयोध्या से भी जोड़कर मनाया जाता है जिसमें भगवान श्रीराम दुराचारी रावण का अंत कर अयोध्या लौटे तो पूरी अयोध्या दीप पर्व से जगमगा उठी और तभी से दीपावली मनाई जाने लगी, चूंकि आज वर्तमान समय में दीपावली 31 अक्टूबर और 01 नवम्बर को मनाए जाने को लेकर कई भिन्नताऐं नजर आ रही है लेकिन हम ज्योतिष मत के अनुसार यही कहेंगें कि प्रदोषकाल 31 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 01 नवम्बर को अमावस्या का दिन है इसलिए 01 नवम्बर को दीपावली मनाया जाना श्रेष्ठ है। हालांकि ज्योतिर्विज पं.राम रतन शास्त्री कहते है कि ज्योतिष और कर्मकारी पंडित अलग-अलग है ज्योतिष जहां भविष्य के मत को राशियों के अनुरूप बताता है तो वहीं कर्मकारी पंडित सभी प्रकार की पूजा पाठ को मंत्रोच्चारण से पूर्ण कराते है।

किसी भी कर्मकांड के लिए संध्याकाल में संकल्प को लेकर ही किया जाता है इसलिए जब दीपावली पूजन होती है तब उन्हीं देवता का आह्वान किया जाता है, यदि हम 31 अक्टूबर को दीपावली मनाते है तो सूर्य का उदय चर्तुदशी को हो यदि हम सायं को कर्मकांडी से पूजा कराऐंगें तो उनके मंत्रोच्चारण विधि से चतुर्दशी को कराऐंगें जिसका शुभ फल हमें नहीं मिल पाएगा और हमारा संकल्प खण्डित होगा। यदि हम 01 नवम्बर को मनाते है तो प्रदोषकाल में सूर्य के निकलने के साथ ही मनाते है शाकल्य योगिता के रूप में यह दिन पूरे दिन और रात के रूप में होता है इसलिए अमावस्या 01 नवम्बर को सायं 6:17 मिनिट तक है इसलिए अमावस्या के दिन दीपावली संकल्प के साथ 01 नवम्बर को मनाई जानी चाहिए, जिसमें नवग्रह को स्थापित कर, श्रीलक्ष्मी जी का पूजन करना चाहिए, हवन, सफेद वस्त्र ग्रहण करें और सर्वप्रथम ब्राह्मण भोजन कराऐं तभी स्वयं भोजन ग्रहण कराऐं।

No comments:

Post a Comment