Responsive Ads Here

Shishukunj

Shishukunj

Sunday, September 22, 2024

अंर्तराष्ट्रीय बेटी दिवस पर बेटियो के साथ पांच गांव में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित


शिवपुरी।दुनियाभर में प्रतिवर्ष सितंबर माह में अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद बेटी, बेटियों, बालिकाओं के मुद्दे पर विचार करके उनकी भलाई की ओर सक्रिय कदम बढ़ाना और जिस समाज में बेटी/स्त्री या महिलाओं को पुरुष से कमतर माना जाता है, उस समाज में बदलाव लाने के उद्देश्य से ही यह दिन महत्वपूर्ण माना गया है। ये कहना था सामाजिक कार्यकर्ता ललित  झा का जो की ग्राम मझेरा में बालिकाओ के साथ संवाद में बोल रहे थे उन्होंने कहा कीबिटिया दिवस हमें याद दिलाता है कि बेटियां हमारे समाज की अनमोल धरोहर हैं और उन्हें प्यार, सम्मान और सुरक्षा देना हमारी जिम्मेदारी है। 

अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल शक्ति शाली महिला संगठन ने बताया कि  आज हमने पांच गांवों मझेरा, बिनेगा, कुंवरपुर, नया बलारपुर , कोटा एवम हातोद में बालिकाओं के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये। उन्होने कहा की परिवार के सभी सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने में घर में पल रही एक बेटी का महत्वपूर्ण किरदार होता है। बचपन से माता-पिता के घर को संवारने तथा खुशियों से भर देने वाली बेटियां आज भी ससुराल, समाज तथा पुरुषप्रधान इस दुनिया में हर जगह सताई जा रही हैं, आज भी घर की नन्ही-मुन्नी बेटियां, स्कूल-कॉलेजों में पढ़ती ये बेटियां अपनी सुरक्षा को लेकर आज भी पुरुषों की मोहताज है। चाहे वो डॉक्टर हो या किसी ऑफिस में कार्यरत, हर स्थल पर बेटियों के साथ भेदभाव तथा उनकी इज्जत के साथ खेलना आज पहले से अधिक हो गया है। 

 कई घरों, परिवार, समाज तथा गांवों-शहरों में हर स्थान पर आज भी बेटियां अपने हक के लिए लड़ रही हैं। हमें अपनी खिलखिलाहट से खुशी देने वाली बेटियां, लड़कियां आज भी खुद अपनी ही खुशी से महरूम है। आज भी वह उपेक्षा, अभावों का सामना कर रही हैं। नितिन सेन ने कहा की गरीबी से घिरी बेटियां, दिन-रात संघर्ष, शोषण और भेदभाव का शिकार होकर अपनी शिक्षा और सपनों को तो पूरा कर लेती हैं, लेकिन पुरुष वर्ग को शायद उसका ये पढ़ना-लिखना, आगे बढ़ना तथा उनके कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास शायद उन्हें अपने ही नजरों में जीने नहीं देता हैं, इसीलिए तो अपने माता-पिता द्वारा हर अच्छी-बुरी परिस्थिति का सामना करके बेटियों को समाज में सिर उठाकर चलने की इस सीख और भावना को कुछ लोग सहन नहीं कर पाते हैं और उनके साथ अभद्र तथा अनैतिकतापूर्ण व्यवहार करके उनको बेइज्जत करने में अपनी शान समझते हैं।  

बबिता कुर्मी ने नया बलारपुर में कहा की वैसे तो बेटी की अहमियत उसके माता-पिता से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता है। बेटियां वो होती हैं तो बचपन से लेकर जवानी तक तो माता-पिता के घर को खुशियों से भर देती हैं, शादी होने के बाद ससुराल को महकाती हैं और पति और ससुराल वालों को हर पल खुश करने का प्रयास करती है। अंत के बिनीता यादव ने कहा की वर्तमान समय में भी रूढ़िवादी विचारधारा के चलते आज भी कई जगहों पर बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या जैसे कृत्य सरेआम किए जाते हैं। उन्हें कोख में ही मार दिया जाता है, अत: ऐसी छोटी सोच से बेटियों को बचाने और उन्हें सम्मान दिलाने के लिए तथा लोगों को जागरूक करने के लिए कि बेटियों/ लड़कियों को भी लड़कों की तरह समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए, इसी सोच के साथ देश व दुनिया में हर साल सितंबर में अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है। 

No comments:

Post a Comment