शिवपुरी-न्यायालय के न्यायाधीश जे एम एफ सी श्रीमती रूपम तोमर ने एक चोलामण्डलम फायनेंस कंपनी द्वारा रामकिशन निवासी पिपरघार के विरूद्ध लगाये गये 155461/-रूपये के चैक के परिवाद को सिद्ध न पाते हुये आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। आरोपी की ओर से पैरवी एडवोकेट भरत ओझा द्वारा की गई।संक्षेप में मामला इस प्रकार है कि अभियुक्त रामकिशन ने चोलामण्डल फायनेंस कंपनी से एक सोनालिका टेक्टर 3,74,998/-रूपये में फायनेंस कराया था और राशि अधिक होने के कारण किश्तों का भुगतान हेतु अभियुक्त ने परिवादी कंपनी को अपने बैंक का राशि 1,55,461/- रूपये का चैक दिया था जिसे कंपनी ने भुगतान हेतु लगाया और भुगतान न होने पर परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अभियुक्त अधिवक्ता भरत ओझा द्वारा अभियुक्त की ओर से यह बचाव लिया गया कि परिवादी कंपनी ने फायनेंस कराते समय ही उसके चैक बतौर गारंटी अपने पास रख लिये थे, जिस दिनांक एवं राशि का चैक अभियुक्त द्वारा कंपनी देना बताती थी उस दिनांक को चैक में उल्लेखित राशि का कंपनी के पास कोई भी दस्तावेज नहीं था इसके अलावा कंपनी द्वारा अभियुक्त का टेक्टर भी जबरन खींचकर नीलाम कर दिया था और उससे संबंधित कोई दस्तावेज भी न्यायालय के समक्ष नहीं किये गये थे और न ही नीलामी की राशि लॉन में सम्मिलित की गई थी। उक्त सभी तथ्यों को देखते हुये न्यायालय द्वारा परिवादी कंपनी चोलामण्डलम फायनेंस कंपनी का परिवाद निरस्त करते हुये आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
शिवपुरी-न्यायालय के न्यायाधीश जे एम एफ सी श्रीमती रूपम तोमर ने एक चोलामण्डलम फायनेंस कंपनी द्वारा रामकिशन निवासी पिपरघार के विरूद्ध लगाये गये 155461/-रूपये के चैक के परिवाद को सिद्ध न पाते हुये आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। आरोपी की ओर से पैरवी एडवोकेट भरत ओझा द्वारा की गई।संक्षेप में मामला इस प्रकार है कि अभियुक्त रामकिशन ने चोलामण्डल फायनेंस कंपनी से एक सोनालिका टेक्टर 3,74,998/-रूपये में फायनेंस कराया था और राशि अधिक होने के कारण किश्तों का भुगतान हेतु अभियुक्त ने परिवादी कंपनी को अपने बैंक का राशि 1,55,461/- रूपये का चैक दिया था जिसे कंपनी ने भुगतान हेतु लगाया और भुगतान न होने पर परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अभियुक्त अधिवक्ता भरत ओझा द्वारा अभियुक्त की ओर से यह बचाव लिया गया कि परिवादी कंपनी ने फायनेंस कराते समय ही उसके चैक बतौर गारंटी अपने पास रख लिये थे, जिस दिनांक एवं राशि का चैक अभियुक्त द्वारा कंपनी देना बताती थी उस दिनांक को चैक में उल्लेखित राशि का कंपनी के पास कोई भी दस्तावेज नहीं था इसके अलावा कंपनी द्वारा अभियुक्त का टेक्टर भी जबरन खींचकर नीलाम कर दिया था और उससे संबंधित कोई दस्तावेज भी न्यायालय के समक्ष नहीं किये गये थे और न ही नीलामी की राशि लॉन में सम्मिलित की गई थी। उक्त सभी तथ्यों को देखते हुये न्यायालय द्वारा परिवादी कंपनी चोलामण्डलम फायनेंस कंपनी का परिवाद निरस्त करते हुये आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
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