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Thursday, August 8, 2024

विश्व आदिवासी दिवस आज : वंचित वर्ग को उम्मीद की किरण बनी सहरिया क्रांति


आदिम युगीन अत्याचारों को आज भी झेलता सहरिया आदिवासी

शिवपुरी। 9 अगस्त को पूरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन शिवपुरी जिले में निवासरत सहरिया जनजाति के लोगों के लिए यह दिन उनके संघर्ष और चुनौतियों की याद दिलाता है। सरकारी उपेक्षा और समाज के दमन के कारण ये लोग कठिनाइयों से भरा जीवन जीने को मजबूर हैं। कोई अपनी जमीन को लेकर परेशान है तो कोई साहूकारी कर्ज के जाल में अपना सब कुछ गंवा चुका है। हर कदम पर दुख भोग रहे हैं शिवपुरी जिले के आदिवासी।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय बेचैन इस आंदोलन का सहरिया क्रांति संस्था के माध्यम से नेतृत्व कर रहे हैं और सहरिया समुदाय को मुसीबतों से बचाने के लिए दिन-रात दबंगों और भ्रष्ट सरकारी तंत्र  से लद रहे  हैं। संजय बेचैन के नेतृत्व में सहरिया क्रांति आंदोलन ने हजारों सहरिया लोगों को एकजुट किया है और उनकी आवाज़ को बुलंद किया है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता संजय बेचैन का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सहरिया जनजाति को न्याय और सम्मान नहीं मिल जाता। सहरिया क्रांति आंदोलन के माध्यम से सहरिया जनजाति ने अपनी आवाज़ को बुलंद किया है और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी है। इस आंदोलन ने न केवल शिवपुरी बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नई लहर पैदा की है।

संजय  बेचैन के  निवास पर सुबह से ही परेशान हाल आदिवासी अपनी पीढ़ा सुनाने आते हैं। इनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। नेताओं को वोट लेने के बाद मतलब नहीं, तहसीलों में इनकी शिकायतें अनसुनी कर दी जाती हैं और थानों में भी न्याय की कोई उम्मीद नहीं बचती। सहरिया जनजाति के लोग प्रत्येक मंगलवार को अपनी समस्याओं को हल कराने के लिए कई बार जनसुनवाई में आवेदन लगाते हैं, लेकिन उनकी आवाज़ को अनसुना कर दिया जाता है। सरकारी व्यवस्था में बैठे लोगों द्वारा की जा रही  इस उपेक्षा ने सहरिया समुदाय को निराश और हताश कर दिया है।

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