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Tuesday, August 6, 2024

मां के दूध से बच्चे का होता है बौद्धिक विकास: अधिष्ठाता : डॉक्टर डी परमहंस



मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस छात्र छात्राओं द्वारा स्तनपान जागरूकता नुक्कड़ नाटक का किया आयोजन

शिवपुरी।  श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, शिवपुरी में शिशुरोग विभाग द्वारा अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस के मार्गदर्शन में डॉक्टर प्रियंका गर्ग के नेतृत्व में एमबीबीएस छात्र छात्राओं द्वारा मेडिकल कॉलेज में विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत नुक्कड़ नाटक के माध्यम से स्तनपान के महत्व को बताया और जागरूक किया। इस दौरान अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष चौऋषि, विभागाध्यक्ष डॉक्टर ईला गुजारिया, विभागाध्यक्ष कम्यूनिटी मेडिसिन डॉक्टर राजेश अहिरवार, सहायक पीआरओ राहुल अष्ठाना सहित कॉलेज के समस्त वरिष्ठ सीनीयर, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ एमबीबीएस छात्र - छात्राऐं उपस्थित हुए।

विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका गर्ग ने स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम के दौरान लोगों को बेस्ट फीडिंग के बारे में जानकारी दी। बच्चे को स्तनपान या मां के दूध से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और आवश्यक एंजाइम पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है। बच्चों को स्तन का दूध जल्दी और आसानी से पचता है। मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो कि बच्चे को भविष्य में कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस ने एमबीबीएस छात्र - छात्राओं द्वारा स्तनपान जागरूकता नुक्कड नाटक की सराहना करते हुए कहा कि मां के दूध से बच्चे का बौद्धिक विकास होता है। बच्चों के लिए 6 माह तक मां का दूध ही संपूर्ण आहार होता है। जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। मां का दूध न केवल बच्चों के विकास के लिए जरूरी है बल्कि उनको सभी पोषक तत्व भी प्रदान करता है। स्तनपान के प्रति प्रसूताओं को जागरूक करने के लिए 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह पूरे विश्व में अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है.

 2020 बैच एमबीबीएस छात्र- छात्राओं (दर्शना नागर,भास्कर अग्रवाल,आदित्य ठाकुर,अंजु मरावी, चैल्सी मित्तल,अदिति सिकरवार,अक्षिता शर्मा,आयुषी वर्मा,आशीष कुमार वर्मा,चंचल राज चौकसे,ब्लेस्सी सेबास्टियन,शिवराज सिंह चंदेल,अंजलि गुप्ता,अंकिता खरे,आकांक्षा आर्या,भाग्यश्री शाक्य,दामिनी चौहान,अनुज चौबे)
 ने स्तनपान नुक्कड नाटक के माध्यम से "शिशु को ब्रेस्टफीड कराने से ब्रेस्ट मिल्क के जरिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है. शिशु कई गंभीर रोगों, इंफेक्शन जैसे कान, आंख, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, अस्थमा, दस्त, पेट संबंधित समस्याओं, मोटापा, एलर्जी आदि से बचा रह सकता है. ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज होने के कारण वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन से शिशु का बचाव होता है. मां का दूध पीने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. शिशु का ब्रेन तेजी से डेवलप होता है."

साथ ही डॉक्टर ईला गुजरिया ने कहा कि स्तनपान कराने से ना सिर्फ शिशुओं को मां के दूध के जरिए सभी पौष्टिक तत्व मिलते हैं, बल्कि एक ब्रेस्टफीड कराना मां की सेहत पर भी पॉजिटिव असर डालता है। बचपन से यदि बच्चे को मां का दूध मुख्य आहार के रूप में ना मिले तो उसके फिजिकल और मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकता है। इससे विकास सही से नहीं होता है. इससे मां और बच्चा दोनों के सेहत पर भी असर पड़ता है।

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