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Wednesday, August 28, 2024

आम्र्स एक्ट का आरोपी मंगल सिंह मीणा को न्यायालय ने किया दोषमुक्त


शिवपुरी-
पुलिस थाना कोतवाली के द्वारा आम्र्स एक्ट के मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी के बजाए किसी अन्य के हस्ताक्ष्र कर गिरफ्तारी दर्शाई गई और आरोपी को आम्र्स एक्ट के मामले में धारा 25,27 का आरोपी बनाया। जब मामला माननीय न्यायालय न्यायिक मजिस्टे्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष आया तो पुलिस की लापरवाही उजागर हुई और वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के तर्के से सहमत होकर माननीय न्यायालय के द्वारा आम्र्स एक्ट के आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया।

अभियोजन के अनुसार फरियादी कमल गोयल निवासी शिवपुरी दिनांक 29.05.2019 को जरिए मुखबिर से सूचना मिली कि पोहरी बस स्टैण्ड के पीछे एक व्यक्ति सफेद रंग की शर्ट नीला जींस पहने हुए अपनी कमर में 315 बोर का देशी कट्टा लगाकर अपराध करने की नीयत से खड़ा है। मुखबिर की सूचना की तस्दीक हेतु आरक्षकगण को मुखबिर की सूचना से अवगत कराकर साथ लाकर साक्षी को तलब की मुखबिर की सूचना से अवगत कराया, बाद साथ लेकर मुखबिर के द्वारा बताए गए स्थान पोहरी रोड़, बस स्टैण्ड के पीछे को जिसे आरक्षकों की मदद से चैक किया तो उसकी कमर में बांई ओर एक देशी कट्टा 315 का मिला, उस कट्टे को चैक किया तो उसमें एक 315 बोर का राउण्ड मिला। कट्टा रखने का कारण पूछा तो उक्त व्यक्ति कुछ नहीं बता पाया और कट्टे का लायसेंस मांगा तो वह नहीं दे पाया। अभियुक्त ने अपना नाम मंगल सिंह मीणा बताया। 

अभियुक्त का उक्त कृत्य धारा 25,27 आम्र्स एक्ट के तहत दण्डनीय पाए जाने से आरोपी के कब्जे से 315 बोर का कट्टा एवं 1 जिंदा कारतूस समस्त पंचांग जब्त कर जब्ती पंचनामा बनाया गया और आरोपी को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी पंचनामा बनाया गया, बाद में फोर्स गिरफ्तार शुदा आरोपी जब्त माल को वापिस थाने आकर 25,27 आयुष अधि. का मामला पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया और फरियादी साक्षीगणों के कथन लिए गए। विवेचना उपरांत चालान माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। इसके बाद आरोपी पर आरोप तय होने के उपरां साक्षीगणों के साक्ष्य लिए जाने के बाद उक्त साक्ष्य का गहन विवेचना के बाद माननीय न्यायालय ने आरोपी को आम्र्स एक्ट के मामले में निर्दोश पाते हुए दोषमुक्त करार दिया। प्रकरण में खास बात यह रही कि गिरफ्तार मंगल सिंह मीणा को किया गया जबकि जब्ती पंचनामा में आरोपी के हस्ताक्षर के रूप में मंशाराम नामक व्यक्ति के हस्ताक्षर थे जबकि मंशाराम नामक व्यक्ति संपूर्ण प्रकरण में कोई नहीं था। इस प्रकरण में अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।

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