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Wednesday, August 7, 2024

मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस छात्र छात्राओं ने बैनर, पोस्टर, रंगोली के माध्यम से किया स्तनपान के प्रति जागरूक


शिवपुरी।  
श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, शिवपुरी में शिशुरोग विभाग द्वारा अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस के मार्गदर्शन में डॉक्टर प्रियंका गर्ग के नेतृत्व में एमबीबीएस छात्र छात्राओं द्वारा मेडिकल कॉलेज में विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत बैनर पोस्टर, रंगोली के माध्यम से स्तनपान के महत्व को बताया और जागरूक किया। इस दौरान अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस,अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष चौऋषि, विभागाध्यक्ष डॉक्टर पंकज शर्मा, डॉक्टर मोहित शर्मा सहित कॉलेज के समस्त वरिष्ठ सीनीयर, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ एमबीबीएस छात्र-छात्राऐं उपस्थित हुए।
विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन के दौरान विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका गर्ग ने एक सुपोषित माता के स्तन से एक दिन में करीब 850 मिली. दूध बनता है, और यह मात्रा तथा गुणवत्ता भी बच्चे की जरूरत के हिसाब से बदलती रहती है। जो माता अति कुपोषित होती है उसके दूध का बनना 400 मिली. तक रह जाता है। अत: स्तनपान कराने वाली माता को अतिरिक्त कैलोरी व पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती है। एक अध्ययन के अनुसार, गरीबी, सही आहार का न मिलना, साफ पानी की उपलब्धता न होना भी कुपोषण के कारण हैं। 2021 बैच एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने बैनर पोस्टर, रंगोली  के माध्यम से शिशु को ब्रेस्टफीड कराने से ब्रेस्ट मिल्क के जरिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है, शिशु कई गंभीर रोगों, इंफेक्शन जैसे कान, आंख, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, अस्थमा, दस्त, पेट संबंधित समस्याओं, मोटापा, एलर्जी आदि से बचा रह सकता है. ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज होने के कारण वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन से शिशु का बचाव होता है। इस दौरान अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष चौऋषि ने कहा कि जब एक स्वस्थ्य व सुपोषित माता स्तनपान कराती है तो उसके दूध के माध्यम से बच्चे को हर प्रकार के पौष्टिक तत्व मिलते हैं। माता का पहला गाढ़ा दूध (कॉलेस्ट्रम) बच्चे के लिए रोग निरोधक (वैक्सीन) का काम करता है। माता को ये पोषक तत्व रोज के भोजन से मिलते हैं, और कुछ गर्भावस्था के समय से रिजर्व के रूप में भी रहते हैं। कुदरत की व्यवस्था के अनुसार यदि माता के शरीर में कुछ कमी भी हो तो भी बच्चा अपनी जरूरत पूरी कर लेता है, पर यदि माता में बहुत अधिक कमी हो तो यह संभव नहीं है, और बच्चे को उसके दूध से पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते।

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