पारिवारिक सद्भाव और समृद्धि विषय पर परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में हुए वैदिक प्रवचन व किए यज्ञशिवपुरी- जीवन जीने के लिए आवश्यक है संयमित जीवन और इस राह पर चलने के लिए आवश्यक है आपकी वाणी, यह वाणी हमें संयम जीवन जीना सिखाता है, हम वाणी से कठोर बोलते है, इसे सुधार कर प्रभावशाली बनाने अपने बच्चो को वाणी से ज्यादा अपनी क्रियाओ से सुधार में लाए, समय पर बोले यह ध्यान रखे, किसी को सुधारे उसके लिए 3 बाते जरूरी है जिसमे सबसे पहले हमे योगय होना जरूरी है तत्पश्चात परिस्थितियों अनुकूल हो और उस के अनुसार बोलना आना चाहिए, इसके साथ ही हमारी बोलने की शैली किया है, इससे बदलाव लाया जा सकता है, वाणी में माधुर्य और करुणा होना चाहिए, बोलने की शैली से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। वाणी के माध्यम से संयमित जीवन जीने का यह मार्ग प्रशस्त किया हिंदू उत्सव और वेद प्रचार समिति के द्वारा दो दिवसीय पारिवारिक सद्भाव और समृद्धि विषय पर व्याख्यान माला परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में वैदिक आचार्य सोमदेव ने जिन्होंने बड़ी सरलता से विभिन्न कहानियों और उदाहरणों के द्वारा जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया। इस अवसर पर हिंदू उत्सव और वेद प्रचार समिति के द्वारा आचार्य सोमदेव की आगवानी की गई और स्थानीय मातोश्री गार्डन में प्रात: काल के समय वैदिक यज्ञ व प्रवचन हुए तत्पश्चात दोपहर के समय पारिवारिक सद्भाव और समृद्धि विषय पर व्याख्यान माला परिवार प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिकों व महिलाओं ने अपनी सहभागिता निभाई। कार्यक्रम में सायं के समय भी आत्मनिरीक्षण से मानव जीवन की उन्नति पर व्याख्यान दिया गया।
महिलाओं को लेकर तथाकथित वाचकों ने किया भेदभाव
आचार्य सोमदेव ने इस अवसर पर वर्तमान परिवेश के दौर को देखते हुए अपने प्रवचनों में बताया कि आज के समय में कपड़ो का प्रभाव भी काफी प्रभाव छोड़ता है, लेकिन यह अंग प्रदर्शन हो वह उचित नहीं, छोटे कपड़े पहनकर पहनने वाला और देखने वाला दोनो के मन की स्थित अलग होती है। आचार्य सोमदेव ने कहा कि धन और स्त्री को हमेशा छुपकर रखना चाहिए, क्योंकि यही प्रभावशाली बनने के तरीके है, अक्सर देखा होगा कि विनय विनम्रता वाला व्यक्ति हो या महिला सभी को पसंद आते है क्योंकि अकड़ वाला कोई नहीं चाहता, इसलिए सरल बनें और सबके बीच अपनी विनम्रता से अपने आपको स्थापित करें। आचार्य सोमदेव ने कहा कि सास बहू के उद्धरण से भी कई भावों को समझाया। इसके अलावा धन का प्रदर्शन नही करने को लेकर भी समझाईश दी, उन्हांने बताया कि एक स्त्री घर-परिवार और समाज का निर्माण कर सकती है और उसे बिगाड़ भी सकती है, कई तथाकथित वाचको ने महिलाओं को लेकर बहुत बड़ा भेदभाव किया है कि स्त्रियां गायत्री मंत्र व वेदों का वाचन का जाप नही कर सकती, लेकिन ऋषियों ने कभी भेदभाव नही किया, वह प्रकांड थे, वेद शास्त्र के ज्ञाता थे, लेकिन आज के दौर महिलाऐं भी यह कार्य कर सकती है क्योंकि वह परिवार की पूंजी है, हालांकि कई महिलाऐं अंधविश्वास के जाल में जल्दी फंस जाती है इससे दूर रहे। सफलता को लेकर आचार्य सोमदेव ने बताया कि हाथ की लकीरों पर रहने वाले विफल होते है जबकि मेहनत करने वाले लोग सफल होते है इसलिए अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ करें सफलता जरूर मिलेगी।
द्वितीय सज के साथ आज होगा समापन
परिवार प्रबोधन कार्यक्रम की शुरूआत 3 अगस्त 2024 शनिवार को हुई जहां 7.30 से 9.30 बजे ध्यान, यज्ञ, वैदिक प्रवचन, दोपहर 3.30 से 5.30 बजे समृद्ध परिवार का आधार मातृशक्ति, रात्रि 8.00 से 9.30 बजे आत्मनिरीक्षण से मानव जीवन की उन्नति पर व्याख्यान दिया गया जबकि द्वितीय दिवस के अवसर पर 4 अगस्त 2024 रविवार को प्रात: 7.30 से 9.30 बजे ध्यान, यज्ञ, वैदिक प्रवचन, प्रात: 10.00 से 12 बजे राष्ट्र निर्माण में परिवार की भूमिका विषय पर आचार्य सोमदेव के द्वारा अपनी ओजस्वी वाणी में व्याख्यान प्रदान कर मार्गदर्शन किया जाएगा।
No comments:
Post a Comment