अपीलीय न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश शिवपुरी के द्वारा आरोपी की अपील खारिज कर पूर्व में हुई सजा एवं प्रतिकर को बहाल कर निर्णय किया पारितशिवपुरी- अपने व्यापार के लिए आरोपी के द्वारा एक चैक प्रदान किया गया था लेकिन चैक की राशि प्राप्त नहीं होने पर परिवादी के द्वारा माननीय न्यायालय की शरण ली और यहां प्रकरण में माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री जितेन्द्र मेहर की कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई के उपरांत आरोपी को पूर्व में 6 माह की सजा व 2 लाख 35 हजार रूपये प्रतिकर दिए जाने के मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी की अपील खारिज कर पूर्व में हुई सजा और प्रतिकर को बहाल रखा। यहां अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा अपील में उपस्थित होकर परिवादी की ओर से अपने तर्क रखे गए।
मामला इस प्रकार है कि आरोपी समीर उर्फ सलमान खान पुत्र सुल्तान खान निवासी डाढ़ा मोहल्ला मोहना ने बुसरा पोल्ट्री फार्म से मुर्गीदाना उधार किया था और 2 लाख रूपये की राशि का चैक परिवादी बुसरा पोल्ट्री फार्म प्रो.मोहम्मद इमरान कुर्रेशी पुत्र हाजी युसूफ अहमद कुर्रेशी निवासी बड़ा लुहारपुरा, पुरानी शिवपुरी को भुगतान हेतु चैक प्रदत्त किया था। उक्त चैक भुगतान हेतु परिवादी ने अपने बैंक खाते में प्राप्त करने के लिए लगाया तो वह चैक बाउंस हो गया, उसके बाद परिवादी ने चैक राशि की मांग के संबंध में अपने अधिवक्ता के माध्यम से 15 दिवस का नोटिस भेजा किन्तु नोटिस की अवधि उपरांत भी भुगतान नहीं किया
तब परिवादी ने आरोपी के विरूद्ध परिवाद पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया था जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री जितेन्द्र मेहर की कोर्ट से आरोपी को धारा 138 एन.आई. एक्ट में तहत दोषी पाते हुए छ: माह का कारावास एवं 2 लाख 35 हजार रूपये प्रतिकर अदा करने का आदेश था और प्रतिकर राशि जमा ना करने पर 3 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास प्रत्यक्ष से भुगताए जाने का आदेश पारित किया था। उक्त मामले में आरोपी समीर खान ने उक्त निर्णय के लिए विरूद्ध माननीय सत्र न्यायाधीश के यहां अपील प्रस्तुत की थी जिसमें अपील की सुनवाई प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश महोदय शिवपुरी के यहां हुई। यहां परिवादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र यादव ने माननीय न्यायालय में उपस्थित होकर परिवादी का पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी की अपील को खारिज करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के आदेश जिसमें 6 माह की सजा व 2 लाख 35 हजार रूपये के प्रतिकर को बहाल करते हुए निर्णय पारित किया।
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