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Friday, August 9, 2024

सागर /आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास


पच्चीस लाख रूपये अर्थदण्ड एवं सह-आरोपी को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड

सागर । आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले आरोपी कैलाश वर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13(1)(ई) सपठित धारा 13(2) के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पच्चीस लाख रूपये अर्थदण्ड तथा भा.द.स. की धारा- 120बी के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/-(पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा सह-आरोपी शीला वर्मा को भा.द.स. की धारा- 120बी के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/-(पॉच हजार रूपये ) अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी सहा. जिला अभियोजन अधिकारी ने की। 

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि पूर्व ट्रेपशुदा प्रकरण में अभियुक्त कैलाश वर्मा के रहन-सहन, शानो-शौकत व निवास पर विलासिता की सामग्री को देखते हुये अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का संदेह होने पर पर ट्रªेप कार्यवाही संचालनकर्ता द्वारा अभियुक्त के शासकीय आवास बण्डा पर दस्तावेजों व अन्य साक्ष्य की तलाश किये जाने पर 5,53,000/-रु. (पांच लाख तिरेपन हजार रुपये) नगद प्राप्त हुये, जिसके संबंध अभियुक्त कैलाश वर्मा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। अभियुक्त से पूछताछ व गोपनीय जानकारी के आधार पर अभियुक्त कैलाश वर्मा द्वारा अन्य जगहों पर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की जानकारी प्राप्त हुई। अभियुक्त कैलाश वर्मा ने सहअभियुक्त शीला वर्मा के साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र कर अनुपातहीन संपत्ति उसके नाम से भी अर्जित की है, जिसमें सहअभियुक्त शीला वर्मा का दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है। विवेचना के दौरान संकलित साक्ष्य के आधार पर दुष्प्रेरण सहायता द्वारा रहा है।

विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटनास्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13(1)(ई) सपठित धारा 13(2) एवं भादवि की धारा- 120बी का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया ।

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