शिवपुरी/पोहरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में प्रस्तुत बजट विश्वबैंक और आईएमएफ के इशारे पर उन्हीं कारपोरेट घरानों के हितों को संरक्षण देने वाला बजट है।विधायक कैलाश कुशवाह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि इस बजट मे जनकल्याण मे कटौती की गई है। किसानों को खाद पर मिलने वाली सब्सिडी मे 24894 करोड़ रुपए की कटौती की गई है, जिससे कृषि संकट और बढ़ेगा। ग्रामीण गरीबों को रोजगार देने वाला मनरेगा का बजट 86000 करोड़ रुपए का है, जबकि अभी तक के चार महीनों में ही 41500 करोड़ खर्च हो चुके हैं। बाकी आठ महीनों के लिए सिर्फ 44500 करोड़ ही बचा है। खाधान्न पर 7082 करोड़ की सब्सिडी का कम होना गरीबों के मुंह का निवाला छीनना है। विधायक श्री कुशवाह ने कहा है कि कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों के लिए यह बजट विनाशकारी है, क्योंकि वित्त आयोग की ओर से राज्यों को मिलने वाली ग्रांट को लगातार कम किया जा रहा है। पहले इसे 172760 करोड़ से घटाकर 140429 करोड़ किया गया था। अब इसे और घटाकर 132378 करोड़ कर दिया गया है।
विधायक कुशवाह के अनुसार इससे रोजगार के नाम पर कारपोरेट को लाभ मिलेगा क्योंकि हर रोजगार पर युवाओं को पांच हजार और औधोगिक घरानों को 72000 रूपए मिलेंगे। विधायक कैलाश कुशवाह ने जनविरोधी और कारपोरेट जगत की तिजोरियां भरने वाला बजट करार दिया।
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