जीव जव प्रभु दर्शन के लिये आतुर हो तो ही दर्शन संभवशिवपुरी- सिंहनिवास में ताल वाले बड़े हनुमान जी के मंदिर पर चल रही भव्य श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस में कथा व्यास बालयोगी पं.वासुदेव नंदिनी भार्गव ने भगवान के अवतरण और शुकदेव पारिक्षित मिलन, वाराह अवतार की कथा में रोचक प्रसंग प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि मनुष्य का प्रारंभ करुणा से है और परमात्मा प्राप्ति का प्रारंभ भक्त की आतुरता से है। साहित्य के नौ रसों में से सबसे महत्वपूर्ण रस, करुणा रस ही है। वैसे तो करुणा पशुओं में भी होती है किंतु कुछ समय पश्चात पशु भी अपनी संतान को छोड़ देता है, उसकी करुणा समाप्त हो जाती है।
माता-पिता अपने पुत्र को करुणा प्रदान करते हैं किंतु गुरु अपने शिष्य को करुणा प्रदान नहीं करता बल्कि सीधे प्रभु के हवाले कर देता है। आत्मा की करुणा जब स्वार्थ से उठकर दुनिया के लिए आ जाती है तो वह व्यक्ति महात्मा बन जाता है और जब करुणा पूरे वृंम्हांड पर आ जाती है तो वह परमात्मा का रुप लेती है। करुणा के कारण भी भगवान अवतरित होते हैं।
पारीक्षित के वचनों से शुकदेव जी पिघल गये, शुकदेव जी ने कहा कि तू घबड़ा मत अभी सात दिन बाकी है, यही आतुरता तुझे प्रभु दर्शन करायेगी। जीव और ईश्वर के वीच माया का पर्दा है, जो लायक होते हैं प्रभु उस पर अवश्य कृपा करते हैं। मात्र राम नाम कृष्ण नाम से ही इस संसार को पार किया जा सकता है। गुरु वृंम्हनिष्ढ और निष्काम होना चाहिए और शिष्य में प्रभु के लिए आतुरता होनी चाहिए। इस श्रीमद्भागवत कथा में आसपास के ग्रामीण जन एवं शिवपुरीवासी भी हर दिन सैंकड़ों की संख्या में कथा रसिक धर्म लाभ ले रहे हैं।
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