सागर । जमीन की बही के अलग-अलग खाते बनवाने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले आरोपी कमलेश्वर दत्त मिश्रा को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रमकारावास एवं छः हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं छः हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी सहा. जिला अभियोजन अधिकारी ने की।घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 15.02.18 को आवेदक दुर्गा प्रसाद कुर्मी, निवासी ग्राम भरदी तहसील केसली ने अभियुक्त कमलेश्वर दत्त मिश्रा (मिश्रा बाबू) के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसके दो भाई थे, जिनमें मंझले भाई जमना की मृत्यु हो चुकी है, उनका आपसी बंटवारा हो गया था, परन्तु जमीन का बही खाता एक ही बना था जिसके तीन अलग-अलग खाते बनवाने हेतु तहसील केसली में पदस्थ अभियुक्त मिश्रा बाबू से मिला तो अभियुक्त ने उक्त कार्य कराने के ऐवज् में 6,000/-रु. (छःहजार रूपये) रिश्वत राशि की मांग की,
वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. लोकायुक्त कार्यालय, सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई ।
नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और आवेदक से रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर आवेदक ने बताया कि उसने रिश्वत राशि 6,000/-रु. अभियुक्त को दी, जो अभियुक्त ने अपने पहने हुये फुलपेंट की बायीं जेब में रख ली है, इसके बाद टेªपदल ने अभियुक्त को चारों ओर से घेर लिया। टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत अभियुक्त से रिश्वत राशि के बारे में पूछे जाने पर उसने भी आवेदक से रिश्वत राशि 6,000/-रु. लेकर अपने पहने हुये फुलपेंट की बायीं जेब में रख लेना बतायाा।
तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटनास्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया ।
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