झींगुरा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बताया भक्ति का महत्वशिवपुरी-श्रीमद भागवत कथा चल रही आई पी एस स्कूल के पास कोटी वाले परिवार झींगुरा में कथा के तृतीय दिवस के अवसर पर व्यासपीठ से पं.श्री सतीश कौशिक जी महाराज के मुखार बिन्द से भक्ति की महत्वता पर प्रकाश डाला गया। इसके पूर्व कथा के यजमान परिजनों मुख्य यजमान श्रीमती मुन्नीदेवी-राजाराम कुशवाह (कोठी वाले), श्रीमती कीर्ति-विनोद कुशवाह, श्रीमती बबीता-राजकुमार कुशवाह, श्रीमती अंशुला-प्रमोद कुशवाह के द्वारा सर्वप्रथम श्रीमद् भागवत कथा का पूजन किया गया तत्पश्चात कथावाचक व्यास जी महाराज से आर्शीवाद प्राप्त किया गया।
इस दौरान कथा वृतान्त का श्रवण कराते हुए व्यासपीठ से पं.सतीश कौशिक जी महाराज ने बताया कि भक्त की भक्ति से ही भगवान प्रसन्न हो जाते है लेकिन आजकल देखने में आ रहा है कि मनुष्य ना जाने-कितने तरह के तौर-तरीके अपनाकर भगवान की भक्ति कर दिखावा करता है, इसलिए ऐस कोई भी दिखावा ना करें बल्कि ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ स्मरण करें यही करना सार्थक होगा। इसके साथ ही में परीक्षत जी को भागवत कथा श्रवण के नियम बताये, श्रष्टि के विस्तार में मनु महाराज एवं सतरूपा महारानी के वंश का वर्णन किया, कपिल देवहूति संवाद के माध्यम से संख्या शास्त्र का विवेचन किया, अभिमान सहित दक्ष ने यज्ञ कराया जिसमे मैया सती ने अपने प्राणों की आहुति दी, प्रभु को प्राप्त करने की कोई आयु निश्चित नही है, मात्र 5 वर्ष की छोटी सी आयु में भगवान को प्राप्त कर लिया, अनेक कष्टो को सहन करते हुए, पिता की यातनाओ को सहन करते हुऐ भी प्रभु का भजन नही छोड़ा जिससे प्रभु ने कृपा करके खंबे से नरसिंह अवतार लिया एवं दुष्ट हिरण्यकश्यप का उद्धार किया। कथा विराम के बाद समस्त भक्तो ने भागवत जी की आरती एवं प्रसाद ग्रहण किया। कथा में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमीजन पहुंचकर धर्मलाभ प्राप्त कर रहे है।
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