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Tuesday, June 25, 2024

अपने संस्कारों का त्याग नहीं बल्कि आत्मसात करें : भागवत रत्न नवलेश दीक्षित जी महाराज




श्रीमद् भागवत कथा में आस्था का केन्द्र बनी आकर्षक झांकियां, व्यासपीठ से किया भक्ति का मार्ग प्रशस्त

शिवपुरी- अपने जीवन में कभी भी संस्कारों को त्यागना नहीं चाहिए बल्कि अपने घर-परिवार और समाज के मिले संस्कारों को अपने बच्चों में संरक्षित करने के साथ आत्मसात करने का प्रयास करें, श्रीमद् भागवत कथा हमे संस्कारों की ओर आगे ले जाती है इसलिए कथा के हरेक प्रसंग में प्रभु भक्ति का मार्ग जुड़ा हुआ है, जिस प्रकार से ध्रुव की भक्ति से भगवान प्रसन्न हुए, उसी प्रकार से मनुष्य को अपने घर-परिवार और समाज में संस्कारों की नींव मजबूत करेगा तो वह प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलने के समान होगा। संस्कारों की नींव मजबूत करने पर यह आर्शीवचन दिए प्रसिद्ध भागवत रत्न कथा वाचक आचार्य श्री नवलेश दीक्षित जी महाराज ने जो स्थानीय शगुन वाटिका में गोयल परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा को व्यासपीठ से भागवत कथा का वृतान्त श्रवण करा रहे थे।

कथा प्रारंभ से पहले कथा यजमान परिजन श्रीमती गीता देवी गोयल, श्रीमती निशा गोयल, शिशिर गोयल, निखिल गोयल एवं अखिल गोयल परिजनों के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा पूजन किया गया और आचार्य श्री नवलेश दीक्षित जी महाराज से आर्शीवाद प्राप्त किया। इसके पश्चात कथा के प्रसंगों के माध्यम से आचार्य श्री नवलेश दीक्षित जी महाराज ने बताया कि ईश्वर में आस्था रखनेवाले लोग कभी निराश नहीं होते, ईश्वर उन लोगों की हर कार्य में सहायता करते है जो स्वयं अपने कार्यों को ईश्वरी मार्ग पर चलकर करते है, इसलिए श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव चरित्र कथा का वृतान्त इस संसारी प्राणी के लिए मार्गदर्शन है कि वह प्रभु भक्ति में लीन रहे दिखावे की भक्ति ना करे। इस दौरान कथा में आकर्षक झांकियां आस्था का केन्द्र रहीं, जहां भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती स्वरूप झांकियों का श्रद्धालुओं ने दर्शन किया और नृत्य गान करते हुए प्रभु भक्ति की। कथा प्रतिदिन दोप.2 बजे से सायं 6 बजे तक आगामी 29 जून तक जारी रहेगी।

आज मनाया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
गोयल परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में आज कथा के चतुर्थ दिवस के अवसर पर बुधवार 26 जून को प्रहलाद चरित्र, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, बली वामन, श्रीराम जन्म कथा के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण जन्म (नंदोत्सव) उत्साह के साथ मनाया जाएगा, इसके साथ ही 27 जून को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन, माखन चोरी, गौ चारण, वृन्दावन लीला एवं गोवर्धन पूजा होगी व छप्पन भोग दरबार सजेगा, 28 जून को महारास लीला, मथुरा गमन, कंश वध, गोपी उद्वव संवाद एवं श्रीकृष्ण रूकमणी विवाह होगा, 29 जून को द्वारिका लीला कथा, सुदामा चरित्र, नवयोगेश्वर संवाद एवं भागवत कथा सार वृतान्त के साथ कथा को विश्राम दिया जाएगा।

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