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Thursday, February 29, 2024

अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद स्मृति कवि सम्मेलन पिछोर में सम्पन्न



शिवपुरी/पिछोर
-अखिल भारतीय साहित्य परिषद पिछोर इकाई के द्वारा अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर पिछोर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सरस्वती शिशु मंदिर आयोजित कर आजाद का पुण्य स्मरण किया। सर्वप्रथम माँ शारदे व चंद्रशेखर आजाद के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। संचालन कर रहे राष्ट्रीय कवि आशुतोष ओज ने भारत की आन बान शान का प्रतीक है वह,शत्रुओं के लिए वही काल विकराल था, भाभरा की धरती ने पीढिय़ों में वीर जना,सैकड़ो से एक लड़ा बन महाकाल था से चंद्रशेखर आजाद को नमन किया। इसके बाद राष्ट्रीय कवियित्री डॉ कविता किरण फालना राजस्थान ने कविता की फुलवारी हूं किरणों की केसर क्यारी हूँ, नाम है कविता किरण मेरा अंधियारों से ना हारी हूं, कभी भोर हूं कभी निशा हूं फूल कभी चिंगारी हूं छोटी सी इक किरण हूं लेकिन सौ सूरज पर भारी हूँ। बाबू गीतेश्वर आष्टा नेएक कतरे को समंदर कह दिया,तो कह दिया।। हमने प्यादे को कलंदर कह दिया,तो कह दिया।। हौसलों की बात है ये,क्यों डरे किस से डरें।। हमने खुद को गर सिकंदर,कह दिया तो  कह दिया। 

ध्रुव शर्मा विदिशा ने आजाद न होते तो क्या आजादी होती,काल चक्र के चक्कर मे ही बर्बादी होती,  परवीन महमूद पिछोर ने अब न रहेंगे तंबू में कौशल्या के राम।उनकी ही जन्म भूमि में बन जायेगा धाम।।सतीश श्रीवास्तव करेरा नेसात माह खनियाधाना में बिता गये आजाद, खनियाधाना स्वर्णाक्षर में लिखा गये आजाद। घनश्याम योगी करेरा ने छाई शीत लहर की धूम कोहरा रहा धरा को चूम, राष्ट्रीय शायर शुभाष पाठक जिया ने वो लिए बैसाखियां चढ़ता गया सब चोटियां और क्या शर्मिंदगी हो पांव वालों के लिए इन फिजाओं में हवा का होना लाजिम है बहुत तेल ही काफी नहीं रौशन मशालों के लिए, प्रदीप अवस्थी सादिक ने सितारे तोड़कर ये आसमां से कौन लाया है, यह किसके नूर से धरती का दामन जगमगाया है,सुनाकर वाह वाही लुटी।देर रात तक चले कवि सम्मेलन में सभी ने लुत्फ उठाया। इस अवसर पर विभाग कार्यवाह विकास भार्गव, प्राचार्य शिशु मंदिर मनोज गुप्ता,विजय भदौरिया सहित गणमान्य जन मौजूद रहे।

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