हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभशिवपुरी-हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्रीमद् भागवत कथा कलश यात्रा के साथ ग्राम रातौर के हनुमान मंदिर पर प्रारंभ की गई है। कथा आचार्य पं. जगदीश शर्मा ने अपनी मधुर वाणी से श्रीकृष्ण जन्म पर कंस की कथा विवरण सुनाते हुए कहा कि मामा कंस ने अपनी बहिन के आठवा पुत्र की मृत्यु के भय से मथुरा में 84 कोस पर जितने बालकों के जन्म हुए उन्हें मारने का आदेश सैनिकों को दे दिया। लेकिन भगवान श्री कृष्ण को इस बात का आभास हो जाने के कारण वासुदेव जी के यहां जैसे की पुत्र प्राप्ति का समाचार मथुरा में आया हाहाकार मच गया। अंत में श्री कृष्ण ने ही कंस का बध किया।
श्रीमद्भागत कथा के मुख्य यजमान नक्टूराम चि?ार रातौर बाले हैं। आचार्य श्री ने आगे कहा कि अयोध्या में कैकयी द्वारा राम को 14 वर्ष का वनवास दिलाया है तब से कोई मनुष्य अपनी पुत्री का नाम कैकयी नहीं रखता है। कैकयी से सभी हीन भावना रखते हैं। शुभद्रा एवं कौशल्या नाम को सभी लोग रखते हैं। वहीं आगे कथा में कहा श्याम सुन्दर के दो मित्र है। पहला मित्र उद्धव जो ज्ञानी है लेकिन प्रेमी नहीं है दूसरा मित्र अर्जुन है जो प्रेमी है लेकिन ज्ञानी नहीं है उद्धव को गोपियों ने प्रेम करना सिखाया है और अर्जुन को श्री कृष्ण ने ज्ञानी बनाया है। आज अंत में रूकमणी और श्रीकृष्ण के विवाह उत्सव की धूमधाम से मनाया गया।
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