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Tuesday, January 2, 2024

सागर / रजिस्ट्री वापस करने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड


सागर
। रजिस्ट्री वापस करने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी  प्रवीण कुमार जैन को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की। 

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 06.06.2019 को आवेदक शैलेन्द्र दुबे ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त सागर को सम्बोधित करते हुये  एक शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसने अपने पिता के नाम से अलग-अलग तीन रजिस्ट्री/विक्रय-पत्र करवाई थी, जिनमें से रजिस्ट्रार (अभियुक्त प्रवीण) ने दो रजिस्ट्री उसे दीं व तीसरी रजिस्ट्री अपने कब्जे में रख ली, जिसे वापिस देने के ऐवज् में अभियुक्त प्रवीण द्वारा 3,500/-रु. (तीन हजार पांच सौ रुपये) रिश्वत राशि की मांग की जा रही है, वह रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि अभियुक्त को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। अतः कार्यवाही की जाए। उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु उप-पुलिस अधीक्षक राजेश खेड़े को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल ने मौके पर पहुंचकर अभियुक्त को घेरे में लिया। रिश्वत राशि के बारे में पूछने पर  रिश्वत राशि 3,000/-रु. अभियुक्त प्रवीण ने ऑफिस के चैम्बर में रखी टेबिल की ड्रॉज में रख देना बताया। 

उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा- 7,12, 13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।


लाठियों एवं पत्थर से मारपीट कर हत्या कारित करने वाले आरोपीगण को आजीवन कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । लाठियों एवं पत्थर से मारपीट कर हत्या कारित करने वाले आरोपीगण देवराज दांगी एवं  नन्नेराजा को द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश श्री षिवबालक साहू जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-302 के तहत आजीवन कारावास एवं सात-सात हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।  षेष आरोपीगण को संदेह का लाभ देते हुये दोषमुक्त किया गया एवं इसी मामले के काऊंटर प्रकरण में सभी आरोपीगण को दोषमुक्त किया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री सौरभ डिम्हा ने की ।

जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी श्री सौरभ डिम्हा ने बताया कि फरियादी नन्हे भाई सिंह ठाकुर ने जिला चिकित्सालय में देहाती नालिसी पर रिपोर्ट लेख कराई कि दिनॉक 27.06.2020 केा मै अपने टेकाराम वाले खेत पर कुॅआ की मरम्मत में था हमारा बड़ा भाई राजा भैया तथा लड़का रविन्द्र तथा मेरा छोटा भाई चंदन सिंह उर्फ हल्ले भाई सभी काम कर रहे थे उसी समय देवराज दांगी शाम करीब 4ः00 बजे वहॉ मौके पर आया और मुरम मेरे खेत की तार फैंसिंग की मेड़ पर डालने लगा, मना करने पर मुझे गंदी-गंदी गॉलियॉ देने लगा , गाली देने से मना किया तो देवराज ने मुझे मुॅह व नाक में कुल्हाड़ी की मुदानी मारी जो मुॅह नाक से खून निकलने लगा, उसी समय नन्नेराजा लाठी पत्थर लेकर, रामराजा लाठी लेकर इंद्रराज और रामनरेष लाठी पत्थर लेकर तथा रामअवतार भी लाठी लेकर एक राय होकर आये, ये सभी गाली देते हुये बोले कि आज छोड़ना नहीं है और जान से खत्म करना है जो इन सभी ने लाठी, पत्थर से मुझे व मेरे भाई हल्ले भाई , बड़े भाई राजा भईया तथा लड़का रवीन्द्र से मारपीट करने लगे जिससे मुझे मुॅह, नाक, पेट, वॉये जॉघ में और बड़े भाई राजा को दाहिने कंधा तथा बॉये पैर व पीठ में चोंटे आई, लड़का रवीन्द्र को सिर,सीना,पेट, पैरों में चोटें आई थी लड़का रवीन्द्र बेहोष हो गया था मौके पर भतीजा एवं अन्य लोग आ गये थे जिन्होंने बीच-बचाव किया फिर गाड़ी से आहत रवीन्द्र और छोटे भाई हल्ले के साथ तिली अस्पताल सागर आये जहॉ डॉक्टर द्वारा रवीन्द्र का मृत हो जाना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, 

विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-सुरखी द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 302, 307, 294, 323,324,147,148,149 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश , श्री षिवबालक साहू  जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।


नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाकर दुष्कर्म़ करने वाले आरोपी को विषेष न्यायाधीष (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये पाक्सों एक्ट की धारा-5 (जे)(आई आई)/6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।  मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री मनोज पटैल ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता की मॉ ने थाना जैसीनगऱ में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 30.04.2021 की सुबह 6 बजे पीड़िता घर पर नहीं दिखी जिसकी आस-पास तलाष करने पर उसका कोई पता नहीं चल सका। आरोपी सुबह 05 बजे के करीब घर के पास से निकला था जो घर पर नहीं मिला जिस पर पीड़िता को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-जैसीनगर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 376(3), 376(2)(एन) एवं पॉक्सों एक्ट की धारा-5/6, 5 (जे)(आई आई)/6, 3/4 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।

अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवम नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा  जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।


नाबालिग के साथ छेड़-छाड़ करने वाले आरोपी को 05 वर्ष  सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग के साथ छेड-छाड़ करने वाले अभियुक्त अन्नू आदिवासी को द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भादवि की धारा-452 के तहत 02 वर्ष सश्रम कारावास  एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पॉक्सों एक्ट की धारा-9एम/10 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती वंृदा चौहान ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता ने थाना केसली में इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 04.08.2020 को शाम के समय पीडिता के माता पिता गौशाला में गाय बांधने गये थे तथा पीडिता घर पर अकेली होकर सब्जी बना रही थी, तभी अभियुक्त अचानक उसके घर के अंदर घुस आया और अभियुक्त ने बुरी नियत से उसका दाहिना हाथ पकडकर उसे अपनी ओर खींचने लगा और उसके साथ छेड़-छाड़ करने लगा जिससे पीडिता के दाहिने हाथ की कलाई के पास छिल गया तब पीडिता चिल्लाते हुए अपने घर से गौशाला तरफ भागी तो अभियुक्त उसके घर से भाग गया, जिसके पश्चात पीडिता ने गौशाला पहुंचकर घटना के बारे में अपने माता-पिता को बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केसली द्वारा धारा-452, 354(ख) भा.दं.सं. तथा धारा-7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। 

अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।

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