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Saturday, December 23, 2023

सच्चे मित्र के कपड़ों को नहीं बल्कि मित्र की भावनाओं को देखें : रामकिशोर शरण दास महाराज


सुदामा श्रीकृष्ण की मित्रता की कथा का कराया श्रवण

शिवपुरी। जिले के सिरसौद गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का आज सातवां और अंतिम दिन में कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री रामकिशोर शरण दास जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी की मित्रता का वर्णन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र कभी कपड़ों को नहीं देखता बल्कि सच्चा मित्र सिर्फ भावनाओं को देखता है।

उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास जी ने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। 

भी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया। तभी उन्होंने भजन गाया अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो कि दर पे तुम्हारे गरीब आ गया है। इस कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई। जिसे देखकर पंडाल में मौजूद सभी लोग भाव विभोर हो गए। यहां बता दे यह आयोजन सिरसौद गांव में केशव नारायण शर्मा जी के यहां चल रहा है। जिसमें आज कथा का अंतिम दिन था अब इस कथा का कल रविवार को विशाल भंडारा होगा।

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