बच्चों ने बाल मजदूरी और बाल विवाह के दुष्परिणामों को चित्रों के माध्यम बतायाशिवपुरी-शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है,लेकिन जब पारिवारिक एवं सामाजिक उपेक्षाओं के चलते बच्चे पढ़ाई की उम्र में मजदूरी करने लग जाते है या उनका छोटी उम्र में विवाह कर दिया जाता है तो वह शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते है। शिक्षा मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। यह बात तात्याटोपे हाई स्कूल में बाल संरक्षण माह अंतर्गत आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के अवसर पर बाल संरक्षण अधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने कही। बाल संरक्षण माह के अंतर्गत ममता संस्था के समन्वय से 21 नवम्बर से 11 दिसंबर तक विभिन्न जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
कम उम्र में विवाह होना, इसके लिए सभी है दोषी : राघवेन्द्र शर्मा
बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा ने कहा कि बच्चों का कम उम्र में विवाह होना, उन्हें पढ़ाई की उम्र में काम पर लगा देने के लिए बच्चे के माता-पिता और परिजन जितने दोषी है, उतने ही दोषी हम सब है। हम उन्हें काम करते हुए देखकर या उनका बाल विवाह होते देखकर भी उनकी मदद नहीं करते। हमें इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को देकर उन्हें भी शिक्षा से जोडऩे की जरूरत है। इस दौरान बच्चों ने चित्रों के माध्यम से दर्शाया कि बाल श्रम में लगे और बाल विवाह के पीडि़त बच्चे भी स्कूल जाकर पढ़ाई करना चाहते है, पर वे बेवश है। हम चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर सूचना देकर उन्हें शिक्षा से जोडऩे में मदद कर सकते है। बच्चों ने चित्रों के माध्यम बच्चों की मजबूरियों को बेहद मार्मिक अंदाज में रेखांकित किया।
चित्रकला प्रतियोगिता में सिमरन शाक्य प्रथम, नेहा ने पाया दूसरा स्थान
इसके अलावा बाल मजदूरी और बाल विवाह को लेकर स्कूली बच्चों ने चित्रकला प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर भाग लिया जिसमें बेहतर चित्रकला प्रतियोगिता में सिमरन शाक्य ने प्रथम, नेहा प्रजापति ने द्वितीय, संजना सेन तृतीय तथा सूर्य देव जाटव ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। इस दौरान ममता संस्था की जिला समन्वयक कल्पना रायजादा ने बच्चों को बाल अधिकार, सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श जैसे विभिन्न मुद्दों पर जानकारी दी। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के जिला समन्वयक गिर्राज धाकड़ एवं विद्यालय की शिक्षिका ललिता वर्मा मौजूद रहीं।
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