गुणानुवाद सभा में छाईं रही महिला शक्ति, भाईयों ने कहा गुरूणी मैया के चार्तुमास से उनके जीवन में आया परिवर्तन
शिवपुरी - प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज साहब ठाणा पांच का शिवपुरी में पांच माह का चातुर्मास सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर कमला भवन में तीन दिवसीय विदाई समारोह आयोजित हुआ। विदाईर् समारोह के तीसरे दिन उपकार सभा में डेढ़ दर्जन से अधिक भाईयों एवं बहिनों ने अपने हृदय के उदगार व्यक्त करते हुए साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज के चार्तुर्मास को अद्वितीय चार्तुमास बताया।
गुरूणी मैया रमणीक कुंवर जी, ओजस्वी प्रवचन प्रभाविका साध्वी नूतन प्रभाश्री जी, तपस्वी रत्ना की उपाधि से अलंकृत साध्वी पूनम श्री जी, मधुर गायिका साध्वी जयश्री जी और आशूकवि साध्वी वंदना श्री जी को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा का अवतार बताया गया। उपकार सभा में बहिनों ने पूरी हार्दिकता के साथ अपनी बात रखी। इस पर साध्वी जी ने कहा कि उन्होंने हमारी बात को दिल से सुना है।
वहीं मूर्ति पूजक समाज के अध्यक्ष तेजमल सांखला और सचिव विजय पारख ने साफगोई से अपनी बात रखते हुए कहा कि साध्वी रमणीक कुंवर जी के चार्तुमास से उनके जीवन में परिवर्तन आया है। उपकार सभा में तपस्वियों के साथ-साथ श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्षद्वय राजेश कोचेटा और तेजमल सांखला का लाभार्थी परिवार मेहरचंद, विपिनचंद, रीतेश, राहुल औैर यश गुगलिया परिवार ने बहुमान किया। वहीं लाभार्थी परिवार के राहुल गुगलिया का बहूमान श्वेताम्बर जैन स्थानक वासी और मूर्ति पूजक समाज ने संयुक्त रूप से किया।
उपकार सभा में सबसे पहले श्रीमती विनिता पारख ने पांचों महासतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि गुरूणी मैया ने 14 वर्ष में शिवपुरी में दूसरा चार्तुर्मास कर हम पर अनंत उपकार किया है। साध्वी रमणीक कुंवर जी के खजाने में एक से बढ़कर एक अनमोल कोहिनूर हीरे हैं। इसके बाद उन्होंने एक-एक साध्वी विशेषता को रेखांकित किया और खास तौर पर साध्वी नूतन प्रभा श्री जी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें जब सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि कोई मोटिवेशनल स्पीकर हमारी आत्मा को जाग्रत करने का कार्यर् कर रहा है।
श्रीमती अरूणा सांखला ने कहा कि भलेही साध्वी नूतन प्रभाश्री जी कड़े शब्दों में हमारी बुराईयों पर प्रहार करती हों, लेकिन हम उनकी भाषा पर नहीं बल्कि उनके मन के भावों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। वह हमारी असली कल्याण मित्र है और उनके मन में हमारे कल्याण और उद्धार की भावना है। गुरूणी मैया रमणीक कुंवर जी मा.सा. का तो कहना ही क्या। ऐसा लगता है कि जैसे वह हमारे घर परिवार की सबसे वरिष्ठ सदस्य है और हमारे सुख चैन और आनंद की उन्हें परवाह है। श्रीमती पुष्पा गूगलिया ने कहा कि साध्वी रमणीक कुंवर जी के चार्तुमास से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है। एक-एक साध्वी में अपनी अनूठी विशेषता है। उन सबका हमारे जीवन के रूपांतरण पर विशेष जोर रहा है।
मोहन पवार ने इस अवसर पर सुन्दर कविता के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करते हुए जीवन में गुरू की महिमा पर प्रकाश डाला। अपनी मधुर आवाज से श्रीमती सुमिता कोचेटा ने खूब वाहवाही बटोरी उन्होंने भावुक स्वर में कहा कि जा रहे हो आप गुरूवर दिल से भुला न पाऐंगे। श्रीमती सुमन कोठारी ने कहा कि गुरूणी मैया के दोनों चार्तुमास से उनके जीवन में अदभुत परिवर्तन आया है। चार्तुमास कमेटी के सचिव सुमत कोचेटा ने कहा कि इस चार्तुमास की सफलता में मूर्ति पूजक और स्थानकवासी समाज की एकता का महत्वपूर्ण योगदान है।
चार्तुमास कमेटी के अध्यक्ष राजेश कोचेटा ने काफी विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने साध्वियों के साथ-साथ समाज के एक-एक व्यक्ति से अपनी ज्ञात, अज्ञात भूलों के लिए क्षमा याचना की जिससे किसी के भी मन को पीड़ा पहुंची हो। गुरूणी मैया के साथ जिन धर्म की प्रभावना कर रही प्रतिभा जैन ने शिवपुरी समाज की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें यहां हर एक व्यक्ति से सम्मान और प्रेम मिला है। जिसे भुलाया नहीं जा सकता। चार्तुर्मास कमेटी के कोषाध्यक्ष अशोक जैन, रीतेश गूंगलिया, श्रीमती अनीता श्रीमाल आदि ने भी गुरूणी मैया के सम्मान में अपनी सुन्दर भावनाऐं रखी।
साध्वी रमणीक कुंवर जी आज करेंगी कमला भवन से बिहार
शिवपुरी में अद्वितीय और ऐतिहासिक चार्तुमास की सफलता के पश्चात साध्वी रमणीक कुंवर जी 28 नवम्बर को दोपहर 1 बजे कमला भवन से बिहार करेंगी। कमला भवन से बिहार कर वह सिद्धेश्वर टेकरी पर स्थित स्व. धर्मर्पाल जी सांखला के निवास स्थान पर जाऐंगी। साध्वी जी 30 नवम्बर को श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समाज के अध्यक्ष तेजमल सांखला के निवास स्थान पर पधारेंगी और सुबह 9 बजे से प्रवचन देंगी।
अपने बच्चों को धर्म से जोड़ोगे तो भविष्य रहेगा सुरक्षित
कमला भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि बच्चों को धर्म से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने नसीहत दी कि अपने बच्चों को देव गुरू और धर्म की ओर अग्रसर करो। बच्चों में यदि ऐसे संस्कार पड़ेंगे तो इससे आप का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि आज वृद्धाश्रम का चलन इसलिए अधिक है क्योंकि हम अपनी नई पीढ़ी को धर्म से नहीं जोड़ पा रहे हैं।
No comments:
Post a Comment