सागर । शादी का झॉसा देकर बहला-फुसलाकर भगा ले जाकर नाबालिग के साथ दुष्कर्म़ करने वाले अभियुक्त वीरन उर्फ वीरेन्द्र पटैल को भादवि की धारा- 366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड पॉक्सो एक्ट की धारा-6 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड , तथा एस.सी./एस.टी एक्ट की धारा-3 (1)(डब्ल्यू)(आई) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड धारा-3(2)(व्ही) के तहतं आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत नेे दंडित किया है। न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेश दिया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/बालिका की मां ने दिनांक 17.03.2021 को थाना राहतगढ़ में इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 16.03.2021 को रात्रि करीबन 11ः00 बजे बालिका बिना बताए घर से कहीं चली गई एवं जिसकी तलाश करने पर उसका कोई पता नहीं चला, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। दिनॉक 23.03.2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथनों में अभियुक्त वीरन उर्फ वीरेन्द्र द्वारा शादी का झांसा देकर उसे बहला फुसलाकर भगा कर इंदौर ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती बलात्कार करना बताया।
क्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-राहतगढ़ द्वारा धारा-366ए, 376(1), 376(2)(एन), 506 भा.दं.सं., धारा-3/4, 5एल/6, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012एवं धारा 3(1);ू)(पप), 3(2)(व्ही) अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।
मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड
सागर । मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी सुरेन्द्र शर्मा को न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा-8 सहपठित धारा- 20(इ)(पप)(ब) के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में विषेष लोक अभियोजक श्री संजय कुमार पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना राहतगढ़ को दिनॉक 24.10.2017 को जरिये मुखबिर सूचना प्राप्त हुई कि सुरेन्द्र शर्मा नाम का व्यक्ति मोटर साइकिल से गांजा ले जा रहा है एस.डी.ओ.पी राहतगढ़ को कार्यवाही की सूचना देने के उपरांत हमराह स्टाफ के साथ मुखबिर के बताये स्थान ऐरण नाका पर रूककर संदेही का इंतजार किया जिसके कुछ समय पष्चात एक व्यक्ति मोटर साइकिल पर आता दिखाई दिया जिसकी मोटर साइकिल पर पीछे एक बोरा बंधा हुआ था वह व्यक्ति पुलिस को देखकर भागने लगा उसे हमराह स्टाफ की मदद से पकड़ा गया। नाम पता पूछने पर अपना नाम सुरेन्द्र शर्मा पिता बाबूलाल शर्मा होना बताया। आरोपी की मोटर साइकिल पर बंधे बोरे को खोलकर देखने पर उसमें मादक पदार्थ रखा होना पाया गया जिसे छूकर, सूंघकर, जलाकर देखा तो अनुभव के आधार पर गांजा होना पाया गया। आरोपी के कब्जे से कुल 22 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया।
आरोपी का कृत्य धारा- 8/20 एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत पाये जाने से उसे गिरफ्तार किया गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-राहतगढ़ में धारा-8 सहपठित धारा-20(इ)(पप)(ब) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।
विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985)जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
गौवंष वध एवं गौ मॉस को कब्जे में रखने वाले 05 आरोपीगण को 02-02 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । गौवंष वध एवं गौ मॉस को कब्जे में रखने वाले आरोपीगण मुन्नी उर्फ सोफिया, रब्बानी, जिलानी, मुब्बु एवं राजा उर्फ मुबीन को न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री आषीष शर्मा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये सभी आरोपीगण को गौवंष प्रतिषेध अधिनियम की धारा- 4/9(1) के तहत 02-02 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-5/9(2) के तहत 06-06 माह सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पुष क्रूरता अधिनियम के तहत 50-50 रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री अमित जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना प्रभारी केंट को दिनॉक 03.05.2015 को सूचना प्राप्त हुई जिसकी तस्दीक हेतु हमराह स्टाफ के साथ कजलीवन टपरिया गये थे । कंट्रोल रूम सागर को सूचना देने पर पर्याप्त बल मौके पर आने से रब्बानी मुसलमान, जिलानी, मुब्बु, राजा मकरानी मौके का फायदा उठाकर भाग निकले। मौके पर पहुॅचकर साक्षीगण के समक्ष मुन्नी उर्फ सोफिया के मकान की तलाषी दिनॉक 03.05.2015 को ली गई। मुन्नी उर्फ सोफिया के मकान के सामने से दो कमरे अंदर तीसरे कमरे में एक सफेद रंग की गाय जिसकी आधी गर्दन कटी हुई मृत, एक लोहे का धारदार बका, एक लोहे की आरी, एक सफेद गाय के कटे हुये चार पैर, एक चद्दर का पीका जिसमें गाय की चर्बी रखी है का तलाषी पंचनामा तैयार कर घटना स्थल से आरोपी मुन्नी उर्फ सोफिया को गिरफ्तार किया गया ।
थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केंट द्वारा धारा-153क भा.दं.सं., 4/9(1), 5/9(1) गौवंष प्रतिषेध अधिनियम एवं 11(घ) पषु क्रूरता अधिनियम का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
अभियोजन उपरांेक्त विवेचना उपरांत यह प्रमाणित करने मे सफल रहा कि अभियुक्तगण ने दिनॉक 03.05.2015 केा कजलीवन टपरिया में सफेद रंग की गाय का वध उसको गौ मॉस का विक्रय करने के आषय से किया और गौ मॉस को अपने कब्जे में रखकर धारा 4 व 5 गौवषं प्रतिषेध अधिनियम का उलंघन किया और गाय को पीड़ा एवं यातना दी। जहॉ विचारण उपरांत न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री आषीष शर्मा जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।
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