आदर्श आचार संहिता लगने के बाद अब शिवपुरी विधानसभा से कई भाजपा दावेदरो ने जताई दावेदारीशिवपुरी- मध्यप्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर मतदान और मतगणना की तिथि घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। ऐसे में अब भारती जनता पार्टी से भी कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के इंकार के बाद कई भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों ने भी शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे की दंभ भरी है। इनमें मुख्य रूप से पूर्व प्रदेश प्रवक्ता धैर्यवर्धन शर्मा, छात्रसंघ से राजनीति के शिखर पर आगे बढऩे वाले सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास, भाजपा जिला उपाध्यक्ष व सांसद प्रतिनिधि हेमंत ओझा, 57 हजार हासिल करने वाले वर्ष 2018 पराजित प्रत्याशी के रूप में सिद्धार्थ लढ़ा, सरवाईकल रोग और वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश महामंत्री भरत अग्रवाल (नारियल वाले)सहित पूर्व विधायक दिवंगत सुशील बहादुर अष्ठाना के पुत्र पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुराग अष्ठाना व उनकी पुत्रवधु पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना भी शामिल है। इन दावेदारों ने अब शिवपुरी विधानसभा से अपनी दावेदारी जताई है और विश्वास दिलाया है कि वह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार है और पार्टी के आदेश का इंतजार है। ऐसे में शिवपुरी विधानसभा से अब कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के बाद विकल्प के रूप में अनेकों नेताओं ने अपनी दावेदारी जताना शुरू कर दी है।
नपाध्यक्ष में अपनी राजनीतिक शक्ति दिखा चुके है सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास
ग्वालियर में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में राजनीति के शिखर की ओर बढऩे वाले सेवानिवृत्त मंडी सचिव एवं ब्राह्मण समाज के सर्वमान्य नेता के रूप में सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास भी एक ऐसा नाम है जिन्होनें गत वर्ष नपाध्यक्ष के चुनाव में अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया और अपनी दावेदारी इस बार के विधानसभा में दिखाने का भी वह माद्दा रखते है। शिवपुरी,कोलारस, गुना, ग्वालियर सहित अन्य स्थानों पर विभिन्न मंदिरो के वह संस्थापक सदस्य है, इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से उनकी नजदीकियां भी गाहे-बगाहे देखी जा सकती है। सांसद प्रतिनिधि के साथ-साथ रामजी व्यास सर्व समाज में भी जाना-पहचाना नाम है, मुस्लिम समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है, इसके अलावा शिवपुरी विधानसभा के 39 वाडो्र्रं के नागरिकगण नपाध्यक्ष के चुनाव में उन्हें भलीभांति पहचान भी गए है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनके सतत संपर्क बने हुए है। शिवपुरी विधानसभा से भी वह अपनी दावेदारी इसलिए जता रहे है क्योंकि वह सर्वसमाज में अपनी एक अलग पहचान रखते है और वह लगातार लेागों से सतत जनसंपर्क भी बनाए हुए है।
दिवंगत पिता के पुण्य स्मरण स्वरूप पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका व अनुराग अष्ठाना ने जताई दावेदारी
शिवपुरी विधानसभा चुनाव में कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लडऩे से इंकार करने के बाद अब दिवंगत पिता सुशील बहादुर अष्ठाना के पुण्य स्मरण को एक बार फिर से जीवंत उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने के लिए उनके पुत्र पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुराग अष्ठाना व पुत्रवधु पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना ने भी अपनी दावेदारी जताई है। यह दावेदारी इसलिए भी है कि पूर्व विधायक के रूप में दिवंगत सुशील बहादुर अष्ठाना वर्ष 1967,72 एवं 90 में शिवपुरी विधानसभा से 3 बार के विधायक रह चुके थे और उनके पुत्र पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुराग अष्ठाना व पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना ने भी नगर के विकास में अनेकों ऐसे कार्य किए जो आज भी स्मरण है। ऐसे में अपने पिता के राजनैतिक गुणों के रूप में शिवपुरी विधानसभा से भाजपा पार्टी ने यदि अष्ठाना परिवार भी अपनी सहमति दर्ज कराई तब भी निश्चित ही शिवपुरी के विकास को नए आयाम देखने को मिलेंगें, वैसे भी शहर ही नहीं बल्कि विधानसभा शिवपुरी में सर्व समाज में जाने-पहचाने जनसेवक के रूप में अष्ठाना परिवार भी हमेशा पहचाना जाता है साथ ही पार्टी के नियम और निर्देशों सहित सिद्धांतों की राजनीति भी उनके द्वारा की जाती है। ऐसे में एक सफल उम्मीदवार अष्ठाना परिवार भी हो सकता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
ग्वालियर में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में राजनीति के शिखर की ओर बढऩे वाले सेवानिवृत्त मंडी सचिव एवं ब्राह्मण समाज के सर्वमान्य नेता के रूप में सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास भी एक ऐसा नाम है जिन्होनें गत वर्ष नपाध्यक्ष के चुनाव में अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया और अपनी दावेदारी इस बार के विधानसभा में दिखाने का भी वह माद्दा रखते है। शिवपुरी,कोलारस, गुना, ग्वालियर सहित अन्य स्थानों पर विभिन्न मंदिरो के वह संस्थापक सदस्य है, इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से उनकी नजदीकियां भी गाहे-बगाहे देखी जा सकती है। सांसद प्रतिनिधि के साथ-साथ रामजी व्यास सर्व समाज में भी जाना-पहचाना नाम है, मुस्लिम समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है, इसके अलावा शिवपुरी विधानसभा के 39 वाडो्र्रं के नागरिकगण नपाध्यक्ष के चुनाव में उन्हें भलीभांति पहचान भी गए है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनके सतत संपर्क बने हुए है। शिवपुरी विधानसभा से भी वह अपनी दावेदारी इसलिए जता रहे है क्योंकि वह सर्वसमाज में अपनी एक अलग पहचान रखते है और वह लगातार लेागों से सतत जनसंपर्क भी बनाए हुए है।
दिवंगत पिता के पुण्य स्मरण स्वरूप पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका व अनुराग अष्ठाना ने जताई दावेदारी
शिवपुरी विधानसभा चुनाव में कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लडऩे से इंकार करने के बाद अब दिवंगत पिता सुशील बहादुर अष्ठाना के पुण्य स्मरण को एक बार फिर से जीवंत उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने के लिए उनके पुत्र पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुराग अष्ठाना व पुत्रवधु पूर्व नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना ने भी अपनी दावेदारी जताई है। यह दावेदारी इसलिए भी है कि पूर्व विधायक के रूप में दिवंगत सुशील बहादुर अष्ठाना वर्ष 1967,72 एवं 90 में शिवपुरी विधानसभा से 3 बार के विधायक रह चुके थे और उनके पुत्र पूर्व मंडल अध्यक्ष अनुराग अष्ठाना व पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना ने भी नगर के विकास में अनेकों ऐसे कार्य किए जो आज भी स्मरण है। ऐसे में अपने पिता के राजनैतिक गुणों के रूप में शिवपुरी विधानसभा से भाजपा पार्टी ने यदि अष्ठाना परिवार भी अपनी सहमति दर्ज कराई तब भी निश्चित ही शिवपुरी के विकास को नए आयाम देखने को मिलेंगें, वैसे भी शहर ही नहीं बल्कि विधानसभा शिवपुरी में सर्व समाज में जाने-पहचाने जनसेवक के रूप में अष्ठाना परिवार भी हमेशा पहचाना जाता है साथ ही पार्टी के नियम और निर्देशों सहित सिद्धांतों की राजनीति भी उनके द्वारा की जाती है। ऐसे में एक सफल उम्मीदवार अष्ठाना परिवार भी हो सकता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
सांसद प्रतिनिधि हेमंत ओझा भी प्रमुख दावेदारों में हुए शामिल
यूं तो हरेक कार्यकर्ता को विधानसभा का टिकिट मांगने का अधिकार है लेकिन इसके बाबजूद भी कई ऐसे चेहरे होते है जो स्वत: ही राजनीति के शिखर पर चमकते रहते है। इन्हीं में शामिल है भाजपा के जिला उपाध्यक्ष एवं सांसद प्रतिनिधि हेमंत ओझा, जिन्होंने भाजपा पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित किया और एक समय जब नपा चुनाव में अध्यक्ष के रूप में हेमंत ओझा का नाम सामने आया था तब भी उन्होंने धैर्य धारण किया और आज अब जब कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया तब हेमंत ओझा भी विधानसभा शिवपुरी से प्रमुख दावेदारों में शामिल है। वर्ष 2014 में पहली बार आमसभा को संबोधित करने आए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगवानी भी हेमंत ओझा के द्वारा की गई, इसके अलावा वह सतत पार्टी के कार्यक्रमों और विभिन्न दायित्वों को भी पूर्ण करते रहे। सर्व समाज में भी हेमंत ओझा एक जाना-पहचाना नाम है और वह सदैव सभी के लिए समर्पित भाव से कार्यरत भी रहते है। गुना-शिवपुरी क्षेत्र के सांसद केपी यादव के द्वारा सांसद प्रतिनिधि के रूप में हेमंत ओझा को मनोनीत किया गया और वह उनकी अपेक्षाओं पर खरे भी उतरे। कोरोनाकाल में भी हेमंत ओझा के द्वारा नि:शुृल्क एम्बुलेंस की सेवा प्रदान की गई, विश्व हिन्दू परिषद में प्रमुख दायित्व लिए और धरातल पर हेमंत ओझा के द्वारा सभी कार्य करके दिखाए गए जिसमें अधिकांशत: पार्टी के सभी दायित्व का निर्वहन उनके द्वारा किया गया, दिन तो दिन रात-रात भर भी हेमंत ओझा ने पार्टी को सर्वोपरि रखकर कार्य किया है। कई संस्थाओं में प्रांतीय दायित्व भी लिए और विश्वकर्मा बोर्ड में प्रदेश महामंत्री के रूप में दायित्व निभा रहे है जिसे अभी-अभी कैबीनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
यूं तो हरेक कार्यकर्ता को विधानसभा का टिकिट मांगने का अधिकार है लेकिन इसके बाबजूद भी कई ऐसे चेहरे होते है जो स्वत: ही राजनीति के शिखर पर चमकते रहते है। इन्हीं में शामिल है भाजपा के जिला उपाध्यक्ष एवं सांसद प्रतिनिधि हेमंत ओझा, जिन्होंने भाजपा पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित किया और एक समय जब नपा चुनाव में अध्यक्ष के रूप में हेमंत ओझा का नाम सामने आया था तब भी उन्होंने धैर्य धारण किया और आज अब जब कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया तब हेमंत ओझा भी विधानसभा शिवपुरी से प्रमुख दावेदारों में शामिल है। वर्ष 2014 में पहली बार आमसभा को संबोधित करने आए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगवानी भी हेमंत ओझा के द्वारा की गई, इसके अलावा वह सतत पार्टी के कार्यक्रमों और विभिन्न दायित्वों को भी पूर्ण करते रहे। सर्व समाज में भी हेमंत ओझा एक जाना-पहचाना नाम है और वह सदैव सभी के लिए समर्पित भाव से कार्यरत भी रहते है। गुना-शिवपुरी क्षेत्र के सांसद केपी यादव के द्वारा सांसद प्रतिनिधि के रूप में हेमंत ओझा को मनोनीत किया गया और वह उनकी अपेक्षाओं पर खरे भी उतरे। कोरोनाकाल में भी हेमंत ओझा के द्वारा नि:शुृल्क एम्बुलेंस की सेवा प्रदान की गई, विश्व हिन्दू परिषद में प्रमुख दायित्व लिए और धरातल पर हेमंत ओझा के द्वारा सभी कार्य करके दिखाए गए जिसमें अधिकांशत: पार्टी के सभी दायित्व का निर्वहन उनके द्वारा किया गया, दिन तो दिन रात-रात भर भी हेमंत ओझा ने पार्टी को सर्वोपरि रखकर कार्य किया है। कई संस्थाओं में प्रांतीय दायित्व भी लिए और विश्वकर्मा बोर्ड में प्रदेश महामंत्री के रूप में दायित्व निभा रहे है जिसे अभी-अभी कैबीनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
No comments:
Post a Comment