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Wednesday, October 4, 2023

चैक बाउंस मामले में आरोपी को 3 माह का साधारण कारावास व 1 लाख 89 हजार 500 रूपये का लगा प्रतिकर


शिवपुरी-
अपने पारिवारिक एवं प्लॉट खरीदने की आवश्यकता को लेकर 1 लाख 50 हजार रूपये का उधार ऋण लिया था और इस एवज में अभियुक्त के द्वारा परिवादी से जान-पहचान होने के चलते एक चैक भी प्रदान किया था लेकिन जब परिवादी को अपने द्वारा दी गई राशि प्राप्त नहीं हुई तो अभियुक्त के खिलाफ माननीय न्यायालय की शरण ली गई। जहां माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय श्रीमती रूपम तोमर ने अपने फैसले में अभियुक्त रामकिशन को 3 माह का साधारण कारावास एवं 1 लाख 89 हजार 500 रूपये के प्रतिकर से दण्डित किया, उक्त प्रतिकर ना देने पर अभियुक्त रामकिशन को एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।

अभियुक्त रामकिशन पुत्र बद्रीप्रसाद परिहार निवासी कृष्णपुरम कॉलोनी एवं परिवादी बालकिशन पुत्र ऊधम सिंह कुशवाह निवासी एसडीएम पब्लिक स्कूल के पास शिवपुरी एक-दूसरे से भलीभांति परिचित थे अभियुक्त रामकिश ने परिवादी बालकिशन कुशवाह से अपनी पारिवारिक एवं प्लॉट खरीदने एवं व्यावसायिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु उधार ऋण के रूप में 1 लाख 50 हजार रूपये 24.9.2016 को लिए थे, जिसके एवज में भुगतान हेतु भारतीय स्टेट बैंक शाखा माधवचौक शिवपुरी का चैक प्रदत्त किया था उक्त चैक परिवादी ने भुगतान प्राप्त करने के लिए बंधन बैंक में प्रस्तुत किया तो उक्त चैक बिना भुगतान के वापिस कर दिया गया। 

इसके बाद परिवादी रामकिशन ने अपनी उधार राशि प्राप्त करने के लिए अपने अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के माध्यम से उक्त चैक राशि के संबंध में अभियुक्त रामकिशन को मांग पत्र (नोटिस) भेजा तो अभियुक्त ने नोटिस प्राप्त करने के बाद भी उक्त राशि का भुगतान नहीं किया। जिस पर उक्त चैक राशि प्राप्त करने माननीय न्यायालय में धारा 138 एनआईए के तहत परिवाद प्रस्तुत किया। 

उक्त प्रकरण में आए साक्ष्य के विवचेना उपरांत माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय श्रीमती रूपम तोमर ने अपने फैसले में अभियुक्त रामकिशन को 3 माह का साधारण कारावास एवं 1 लाख 89 हजार 500 रूपये के प्रतिकर से दण्डित किया, उक्त प्रतिकर ना देने पर अभियुक्त रामकिशन को एक माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। इस प्रकरण में परिवादी की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह यादव के द्वारा की गई।

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