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Monday, October 9, 2023

सागर / पत्नी के साथ गाली-गलौच एवं मारपीट करने वाले आरोपी को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड


सागर
। पत्नी के साथ गाली-गलौच एवं मारपीट करने वाले आरोपी-हेमन्त साहू को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला-सागर सुश्री रीना शर्मा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 498-ए के तहत 01 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।  मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती किरण गुप्त ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता की शादी हिंदु रीति रिवाज से अभियुक्त हेमंत साहू से दिनॉक 20.04.2016 को हुई थी ।षादी के बाद पीड़िता ससुराल गई तो कुछ समय पष्चात उसका पति उसे शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगा, पीड़िता ने सबकुछ सहन किया। इसके पष्चात दो तीन बार महिला परामर्ष केन्द्र में अभियुक्त को समझाइस दी गई जिसमेे उसके द्वारा पीड़िता को अच्छी तरह से रखने की सहमति देकर उसे ससुराल वापस ले आया इसके बाद पुनः अभियुक्त पीड़िता को शारीरिक एवं मानसिक रूप  से परेषान करने लगा तो पीड़िता अपनी भाभी के यहॉ रहने लगी । दिनॉक 10.06.2018 को अभियुक्त भाभी के घर पहुॅचा और पीड़िता को गंदी-गंदी गालियॉ देने लगा और गाली देने से मना करने पर पीड़िता के साथ मारपीट की जिससे पीड़िता को सिर, गर्दन एवं हाथ की कल्हाई में चोटें आई एवं अभियुक्त ने रिपोर्ट करने पर जान से मारने की धमकी भी दी। 

उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मोतीनगर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 498ए,323, 506 भाग-2 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जिला-सागर सुश्री रीना शर्मा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।


बालिका के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । बालिका के साथ छेड़छाड़ करने वाले अभियुक्त द्वारका यादव को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 354 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, तथा पाक्सो एक्ट की धारा-7/8 के तहत  03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड,  तथा एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) व धारा- 3(2)(व्ही-ए) के तहत तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।  मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता ने इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि वह दिनांक 04.09.2019 की शाम करीब 6.30 बजे अपने घर से दूध लेने गई थी जब वह दूध लेकर आ रही थी तभी रास्ते में अभियुक्त द्वारका ने बुरी नियत से उसका हाथ पकडा और गंदी-गंदी गाली दे रहा था फिर वह किसी लडके की मोटरसाइकिल पर बैठकर चला गया। अभियुक्त पहले भी उसे देखकर अश्लील गाने गाता था और अभियुक्त बुरी नियत से उसे घूरता था। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, 

विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गोपालगंज द्वारा धारा-354, 354क, 294 भा.दं.सं., एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा- 3(1)(डब्ल्यू), 3(2)(व्ही-ए) तथा धारा-7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।


वेतनवृद्धि के एरियर एवं सातवें वेतनमान का निर्धारण करने की ऐवज में रिष्वत लेने वाले बाबू को 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड

सागर । वेतनवृद्धि के एरियर एवं सातवें वेतनमान के निर्धारण करने के ऐवज में रिष्वत लेने वाले आरोपी सहायक ग्रेड-तीन सुरेन्द्र सिंह को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र श्री आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7, 12,13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2)  के अंतर्गत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने की।

घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि दिनांक 06.05.2019 को आवेदक सतीश गोलंदाज, छात्रावास अधीक्षक, बीना ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक लिखित  शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि उसकी वार्षिक वेतनवृद्धि दिनांक 01.07.2018 को लगनी थी, जो कि 09 माह बाद मार्च, 2019 में लगाई गई। उक्त वेतनवृद्धि के एरियर और सातवें वेतनमान का निर्धारण करने हेतु अभियुक्त सुरेंद्र सिंह ने 10,000/-रु. की मांग की, वह अभियक्ुत को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्यवाही हेतु निरीक्षक मंजू सिंह को अधिकृत किया गया। 

आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉग वार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई । नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राषि दी गई व आवेदक का इषारा मिलने पर टेªपदल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और निरीक्षक मंजू सिंह ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, आवेदक से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर आवेदक ने बताया कि अभियुक्त सुरेंद्र सिंह ने 10,000/-रु. की रिश्वत राशि अपने हाथ में लेकर पहने हुये फुलपेंट की जेब में रख ली है, तब मौके पर कार्यवाही प्रारम्भ की गई। 

उक्त आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया।विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा- 7, 12, 13(1)(बी) सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।

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