श्री कृष्ण और सुदामा की कथा के साथ हुआ कथा का विश्रामशिवपुरी-शहर की परिणय वाटिका में कांसल (गुप्ता)परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा प्रसंग के साथ हुआ। इस अवसर पर यहां कथा का श्रवण कराते हुए व्यासपीठ से आचार्य कृष्णगोपाल जी महाराज ने बताया कि श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता बताती है कि मित्रता में राजा और रंक दोनों एक समान है, सुदामा श्रीकृष्ण के परम मित्र थे, सांदीपनि ऋषि के गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते हुए श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई थी, सुदामा पुराणों के ज्ञाता ब्राह्मण थे, माना जाता है शिक्षा दीक्षा के बाद सुदामा अपने गांव अस्मावतीपुर में भिक्षा मांग कर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन कई बार अपने बच्चों का पेट अच्छे से भर सके उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे, ऐसे सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के मित्र थे जिन्होंने कभी लोभ-लालच को नहीं देखा और एक सच्चे मित्र के चरित्र को प्रस्तुत किया।
इस अवसार पर कथा विश्राम से कांसल(गुप्ता)परिवार के यजमान जनों रामजीलाल, केदारीलाल, मोहन लाल, कैलाशचंद, महावीर प्रसाद, राजमल गुप्ता(राज पैलेस), महेश कुमार, मातादीन, अनिल, कपिल, तरूण, जयंत, अर्पित गुप्ता कांसल परिवार के द्वारा सर्वप्रथम श्रीमद् भागवत कथा का पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ पर विराजमान आचार्यश्री से आर्शीवाद प्राप्त किया। यहां संरक्षक के रूप में रमेशचन्द्र शर्मा का सानिध्य और आर्शीवाद भी गुप्ता परिवार ने लिया। कथा के अंत में सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम समापन पश्चात हवन-पुर्णाहुति कार्यक्रम आज 11 सितम्बर को परिणय वाटिका में किया जाएगा।
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