पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी पर्व मनाया गया, जैन साध्वियों ने बताया- प्रतिक्रमण से पूर्व जगत के सभी प्राणियों से करें क्षमा याचना
शिवपुरी। आराधना भवन में प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. ठाणा 5 के निर्देशन में पर्यूषण महापर्व धूमधाम, उत्साह, उमंग और आनंद के साथ मनाया जा रहा है। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व मनाया गया। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्मा के अवलोकन और निरीक्षण का पर्व है। संवत्सरी महापर्व आत्मा की दीवाली है जिस तरह से दीवाली पर घर के हर कोने की साफ सफाई की जाती है। उसी तरह पर्यूषण पर्व पर अपनी आत्मा की सफाई प्रायश्चित रूपी क्लीनर से करें। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन शाम को प्रतिक्रमण से पूर्व संसार के सभी प्राणियों से अपने ज्ञात और अज्ञात अपराध के लिए क्षमा याचना कर अपनी आत्मा को निर्मल बनाएं तथा इस पर्व को सार्थक करें। इस अवसर पर साध्वी वंदनाश्री जी ने संवत्सर पर्व आया, दिल खोलना, क्षमा भाव को अंतर में टटोलना...भजन का सुमधुर स्वर में गायन किया। साध्वी पूनमश्री जी ने जहां अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया वहीं साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कल्पसूत्र का वाचन किया। इस अवसर पर आराधना भवन में श्रावक और श्राविकाओं द्वारा ज्ञान पूजा भी की गई।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि आज के आलोचना दिवस पर हमें अपनी आत्मा का निरीक्षण कर देखना चाहिए कि वर्षभर में हमने कितने अपराध किए हैं, कितने लोगों का दिल दुखाया है, उन्हें पीड़ा पहुंचाई है। यह बात अलग है कि हमारा पाप उजागर हुआ है या नहीं। उन्होंने कहा कि पुण्यों के प्रभाव से कभी-कभी पाप उजागर नहीं होता और हमारी पाप वृत्ति सामने नहीं आ पाती, लेकिन पाप करने वाला तो स्वयं साक्षी होता है। उन्होंने कहा कि पाप यदि भूलवश हुआ हो अथवा वह जानते हुए भी किया गया हो तो उसका प्रायश्चित अवश्य करना चाहिए। प्रायश्चित माता-पिता या गुरु के समक्ष करना चाहिए तथा उनके द्वारा दिए गए दण्ड को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो अपने पाप का प्रायश्चित कर लेता है उसके लिए नरक के द्वार बंद हो जाते हैं। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आप कोई भी काम करें उसका उद्देश्य लोगों की प्रशंसा और वाहवाही लूटना नहीं होना चाहिए, बल्कि कार्य ऐसा होना चाहिए जिसकी प्रशंसा भगवान भी करें। उन्होंने कहा कि जो पाप कर खुशी महसूस करता है वह नरक का भागी होता है। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कल्पसूत्र का वाचन करते हुए भगवान आदिनाथ, भगवान नेमीनाथ, भगवान पाश्र्वनाथ और भगवान महावीर स्वामी के सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का वाचन किया और बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त किया है।
पूरे आठ दिन निराहार रहकर पांच श्रावकों ने की साधना
प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज के निर्देशन में श्वेताम्बर जैन समाज के 5 श्रावकों रीतेश सांखला, विपिन सांखला, अभिनंदन सांखला, पंकज भांडावत और हर्षित सांड पूरे आठ दिन निराहार रहकर धर्म साधना में रत रहे। इस दौरान उन्होंने सामयिक, प्रतिक्रमण, भगवान के दर्शन, पूजा के साथ-साथ जिनवाणी का श्रवण भी किया। रात्रि में प्रभु भक्ति में भाग लिया। उनके अलावा कई साधकों ने तीन-तीन उपवास की तपस्याएं कीं। बहुत से साधकों ने पूरे सात दिन तक एकासना व्रत और अंतिम दिन उपवास रख पर्यूषण पर्व को अपने लिए सार्थक बनाया। तपस्वी भाई बहनों का श्वेताम्बर जैन श्रीसंघ कल 20 सितम्बर को सुबह 10 बजे आराधना भवन में बहुमान करेगा।
कमला भवन में 20 को मनेगा क्षमावाणी पर्व
साध्वी रमणीक कुंवर जी, साध्वी नूतन प्रभाश्री जी, साध्वी पूनमश्री जी, साध्वी जयश्री जी और साध्वी वंदनाश्री जी की प्रेरक उपस्थिति में 20 सितम्बर को सुबह 10 बजे कमला भवन में क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा जिसमें जैन साध्वी और श्रावक-श्राविकाएं एक दूसरे से क्षमा याचना करेंगी। इसके पूर्व सामूहिक पारणे का आयोजन सुबह 7:30 बजे से किया गया है।
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