सागर । नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कृत्य करने वाले दोनों आरोपीण को दोषी करार देते हुये अभियुक्त-बॉबी खंगार को भा.द.वि. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा- 376(डी)(ए) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा धारा- 376(3) सहपठित धारा-511 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा अभियुक्त-जॉनी बाबू खान को भा.द.वि. की धारा-363 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-366(क) के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड,धारा- 376(डी)(ए) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा धारा- 4/17 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दंडित किया है। न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/बालिका के पिता ने दिनॉक 28.08.2021 को पुलिस थाना शाहगढ़ में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 27.08.2021 को रात करीब 9.00 बजे वह सभी खाना खाकर सो गये थे। रात 12.30 बजे उसकी पत्नि ने उसे जगाया और बताया कि बालिका घर में नहीं है। फिर वह लोग बालिका को आसपास ढूंढते रहे पर बालिका कहीं नहीं मिली, तब बालिका को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला फुसलाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। दिनॉक 31.08.2021 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने बतायां कि दिनांक 27.08.2021 की रात को अभियुक्तगण बॉबी खंगार एवं जानी बाबू खान द्वारा उसको पकड़कर मुंह बंद करके जबरदस्ती मोटरसाईकिल पर बैठाकर ले जाकर अभियुक्तगण द्वारा उसके साथ बलात्कार करना तथा मना करने पर अभियुक्तगण द्वारा जान से मारने की धमकी देना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया,
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-षाहगढ़ द्वारा धारा-363,366,376(3),376(डी)(ए) ,376(2)(एन),506 भाग-2 भा.दं.सं. , धारा-3/4,5जी/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा धारा- 3(2)(व्ही) , धारा-3(1)(डब्ल्यू)(प),एस.सी./ एस.टी.एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया ।
जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है। न्यायालय द्वारा टिप्पड़ी की गई कि किसी स्त्री की अस्मिता पर हुआ हमला उसे शारीरिक पीडा से कही ज्यादा मानसिक पीड़ा पहुंचाती है जिससे उसके सपने, जीने की प्रेरणा, मान मर्यादा सभी चूर-चूर हो जाते है। हस्तगत प्रकरण में अभियुक्तगण द्वारा बालिका के साथ सामूहिक बलात्संग किया जाना प्रमाणित हुआ है। इन परिस्थितियों में अभियुक्तगण को युक्तियुक्त रूप से कठोर दंड से दंडित करना न्यायोचित है।
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