सागर । ग्रंथपाल से अनुपतिस्थति अवधि के वेतन के ऐवज में रिष्वत लेने वाले शासकीय महाविद्यालय प्राचार्य अभियुक्त डॉ. अभिताभ दुबे को भा.द.वि की धारा-409,420,467,468,471 के तहत प्रत्येक धारा में 05-05 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-7 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड , धारा-13(1)(बी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दस हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा- 12 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं सह-अभियुक्त बाबू संदीप पाठक को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की घारा-12 के अंतर्गत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा भादवि की धारा- 120बी के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद कुर्मी ने कीघटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि शासकीय महाविद्यालय, केसली में ग्रंथपाल के पद पर पदस्थ आवेदिका डॉ. साधना अवस्थी ने दिनांक 17.05.2016 को पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को सम्बोधित करते हुये एक हस्तलिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि महाविद्यालय के प्राचार्य अभियुक्त डॉ. अमिताभ दुबे महाविद्यालय में उसकी उपस्थिति के बावजूद हाजिरी रजिस्टर में अनुपस्थिति दर्ज कर अनुपस्थिति को उपस्थिति दर्शाकर राशि स्वय ले लेते हैं।
इसी क्रम में माह मार्च एवं अप्रैल, 2016 के 17 कार्य दिवस की अनुपस्थिति को उपस्थिति बताकर प्राचार्य अभियुक्त डॉ. अमिताभ दुबे द्वारा आहरण किया गया है तथा उससे अनुपस्थिति के दिनों के वेतन की राशि 10,200/-रु. रिश्वत के तौर पर मांगी जा रही है, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहती, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहती है, अग्रिम कार्यवाही की जाये। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, वि.पु.स्था. सागर ने उक्त आवेदन पर कार्यवाही हेतु उप पुलिस अधीक्षक के.के. अग्रवाल को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई ।
नियत दिनॉक को आवेदिका द्वारा राषि दी गई आवेदिका ने मोबाईल फोन पर मिस्ड-कॉल देकर पूर्व निर्धारित इशारा किया, जिसके बाद टेªपदल के सदस्य महाविद्यालय में प्रवेश कर गये, कार्यालय में सहअभियुक्त संदीप पाठक कुर्सी पर बैठा हुआ था, जिसे घेरे में लिया गया, उपपुलिस अधीक्षक के.के. अग्रवाल ने अपना व टेªपदल का परिचय देकर अभियुक्त (संदीप पाठक) का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा, तो उसने आवेदिका से अभियुक्त डॉ. अमिताभ दुबे के लिए रिश्वत राशि प्राप्त कर अपनी पेंट की बायीं जेब में रख लेना बताया, तत्पश्चात् अग्रिम कार्यवाही प्रारम्भ की गई।
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7,12 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) एवं धारा- 420, 409, 467, 468, 471, 120बी भा.दं.सं. का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विषेष न्यायाधीष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है ।
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