भाजपा का कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम आयोजित
शिवपुरी। हमारी मंजिल सिर्फ सरकार नहीं हमारी मंजिल है भारत माता को परम वैभव के शिखर पर पहुंचाना। हमारी मंजिल है योजना के माध्यम से भ्रष्टाचार पर पूरा—पूरा नियंत्रण करना। जब हम भ्रष्टाचार की बात करेंगे तो थोड़ा लोगों को लग सकता है कि भ्रष्टाचार कैसे समाप्त होगा। जब स्व. राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री थे तब वह यह कहते थे कि हम 100 रूपए भेजते हैं तो गांव जाते—जाते 15 रूपए रह जाते हैं, लेकिन आज हम दावे के साथ कह सकते हैं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का ढाई लाख करोड़ रूपया हमने साढ़े ग्यारह करोड़ किसानों के खाते में पहुंचाया और जितने भेजा उतना ही पहुंचा एक रूपया दलाली या अमानत में खयानत नहीं है।
हर चीज में टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके भ्रष्टाचार को नेस्तानाबूत करने की कोशिश की जा रही है। यह बात केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने आज एक निजी होटल में आयोजित भाजपा कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम के दौरान कही। संवाद कार्यक्रम से पहले विधानसभा चंदेरी और चांचौड़ा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की बैठक भी मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने ली।
श्री तोमर ने कहा कि जब हम परम वैभव के शिखर की बात करते हैं तो भारत श्रेष्ठ बने भारत दुनिया में महान बने, भारत विश्व गुरू के पद पर अदिष्ठित हो, भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश बने यह हमारा परम लक्ष्य है। लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यात्रा है। इस यात्रा के हम ऐसे पड़ाव पर खड़े हुए हैं जिस पड़ाव पर खड़े होकर वो परम लक्ष्य हमको दिखाई पड़ रहा है। आज से दस साल पहले भारत की गिनती दुनिया में नहीं होती थी, चाहे जी—20 हो, चाहे 60 कंट्रियों का विषय हो, चाहे एचसीओ कंट्रियों का संगठन हो, चाहे यूएनओ हो, भारत पीछे की लाइन में बैठा रहता था।
लेकिन आज हमारी सरकार और मोदी जी के कृतित्व और व्यक्त्तिव के कारण दुनिया के राजनीतिक मंच पर यह परिस्थिति बनी है कि दुनिया का कोई भी राजनीतिक मंच अपनी बैठक का एजेंडा तब तक तय नहीं कर पाता तब तक हिंदुस्तान हां नहीं भर दे। यह हमारी बढ़ती हुई ताकत का परिचायक है। दुनिया के सारे देश हमारी सोहबत को पसंद नहीं करते हमारे आलोचक भी है, लेकिन इसके बावजूद भी जब अर्थ शास्त्री विश्लेषण करते हैं तो उन्हें यह कहने को बाध्य होना पड़ता है कि आने वाले कल में तेजी के साथ आगे बढ़ने वाली कोई अर्थव्यवस्था का नाम है तो वह भारत वर्ष है। यह हम लोगों के लिए गौरव का विषय है।
भारतीय जनता पार्टी सिर्फ सरकार बनाने तक के लक्ष्य पर ही सीमित नहीं रहती। भाजपा ने नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह लक्ष्य तय किया है कि 2047 आएगा भारत विकसित भारत दुनिया में कहलाएगा। इस लक्ष्य को लेकर भाजपा काम कर रही है।
मंत्री तोमर ने कहा कि जब 1951 में डॉ. मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जब दल का गठन किया तो उस समय भारतीय जन संघ के पास 10—12 कार्यकर्ता थे। केंद्र से लेकर राज्य तक सब तरफ कांग्रेस की सरकार थी इतनी बड़ी मजबूत सरकार के विरूद्ध पार्टी को खड़ा करना और उसका चुनौती देना और उसको रास्ते पर लाकर जज्बा अपने भीतर पैदा करना और प्रतिकूलता में अपने विचार यात्रा के प्रभाव को खड़ा करना यह जिज्ञासा हमारे नेताओं ने रखी। इसलिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1953 में कहा कि एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं रहेंगे वर्षों वर्ष बीत गए लेकिन जिस दिन अवसर आया धारा 370 समाप्त करके एकीकरण करने का काम हमने किया।
हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी जानते थे कि हमारे नेताओं ने जो स्वप्न देखा है जिसके लिए दल का गठन किया है उस उद्देश्य की प्राप्ति होनी चाहिए। चाहे उसकी कितनी भी बड़ी कीमत चुकाना पड़े। राम मंदिर के विषय में लोग मजाक उड़ाया करते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। लेकिन हमको भी इंतजार था अनुकूलता का क्योंकि हम यह चाहते थे कि मंदिर का निर्माण भी हो और पूरे भारत में कील गिरने की आवाज भी नहीं आए जब चारों तरफ विचार से आच्छादित हिंदुस्तान हो गया तो न्यायालय ने भी निर्णय दिया और राम मंदिर का शिलान्यास भी हो गया।
मंच पर राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त रमेश खटीक, नरेंद्र बिरथरे, जसवंत जाटव प्रहलाद भारती, सांसद केपी यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा यादव, नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा, उपाध्यक्ष हेमंत ओझा मौजूद रहे। स्वागत भाषण जिलाध्यक्ष राजू बाथम द्धारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री सोनू बिरथरे व आभार महामंत्री गगन खटीक द्धारा व्यक्त किया गया।
वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का किया सम्मान
बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का सम्मान मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने किया जिसमें बीके गुप्ता, मदन बिहारी रीवास्तव, रामगोपाल चौधरी, बलवीरसिंह चौहान, भरत अग्रवाल, विमल जैन, शंकरलाल रावत, प्रमोद जैन, जनवेद वर्मा, गुलाबसिंह धाकड़, अशोक मामा, भगवतसिंह आदि शामिल थे।
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