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Thursday, April 6, 2023

संसार के मोहजाल से मुक्त रहकर करें प्रभु भक्ति : पं.मूर्तिमानदास जी महाराज



गोकुलम वाटिका में श्रीमद् भागवत कथा में बताया भक्ति का माध्यम

शिवपुरी- जब-जब व्यक्ति सोचता हे कि हम मंदिर गए, प्रभु दर्शन किए और फिर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना कर घर लौट आते है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि उस मनुष्य के द्वारा ईश्वर भक्ति हो गई, यदि भक्ति ही करना है तो इस संसार के मोहजाल से मुक्त होकर करें, प्रभु भक्ति का मार्ग प्राप्त करने के लिए ध्यान रखें कि अपने मन से की गई भक्ति ही प्रभु भक्ति है इसलिए भक्त ध्रुव की भक्ति को देखें, समझें और उसी के अनुरूप भक्ति करें, निश्चित ही मनुष्य के सभी ध्येय पूर्ण होंगें। भक्ति का यह माध्यम बताया कि  व्यासपीठ से प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ इस्कॉन वारच्छा सूरत मंदिर के अध्यक्ष पं.श्री मूर्तिमानदास जी महाराज ने जो स्थानीय गोकुलम वाटिका में स्व.श्रीमती सुमति- रमेशचंद गुप्ता (रम्य ब्रजधाम दास) मौलिक गुप्ता (भटनावर वाले)परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा के वृतान्त को श्रवण करा रहे थे। 

इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान रमेशचंद गुप्ता, मौलिक गुप्ता सहित परिजनों महेश, अशोक, अवधेश, आलोक, बृजेश, दिनेश, डॉ.अतुल,डॉ.अरूण, श्रीमती अर्चना-राकेश, श्रीमती कविता-स्व.प्रमोद, श्रीमती कमलेश-महेश, श्रीमती हेमलता-प्रदीप, श्रीमती शोभा-सुदामा, श्रीमती अंजू-रीतेश,श्रीमती मीनाक्षी-महेन्द्र, श्रीमती रिचा-द्वारिका आदि के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ से कथावाचक पं.श्री मूर्तिमानदास जी महाराज से आर्शीवाद लिया गया। इस दौरान कथा के विभिन्न वृतान्तों पर पं.मूर्तिमोहनदास जी महाराज के द्वारा बड़े ही सरल शब्दों में श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया गया उन्होंने संपूर्ण कथा में ईश्वरीय भक्ति और अन्य प्रसंगों पर अपने आर्शीवचन दिए।

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