गोकुलम वाटिका में श्रीमद् भागवत कथा का समापन आजशिवपुरी- जब भी कभी हमें अच्छे और सच्चे मित्र की पहचान करना हो तो इसके लिए श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण-सुदामा चरित कथा प्रसंग है जिसमें बताया गया है कि हमें जीवन में ऐसे मित्र बनाने चाहिए जो हमारे हर सुख-दु:ख में शामिल हो, अपने घर-परिवार और समाज में एक-दूसरे का मान-सम्मान कर सकें, इस संसार के प्रत्येक प्राणी में हमेशा यह भाव होना चाहिए कि हमें जीवन में सभी के लिए समान भाव से रहकर कार्य करना चाहिए, धर्म की प्रभावना को बढ़ाना चाहिए और दूसरों के दु:खों में सहभागी होकर उन्हे सुख लौटाए ऐसे कार्य करने चाहिए, तभी यह मानव रूपी देह सार्थक है। सच्चे और अच्छे मित्र की इस पहचान को व्यासपीठ से प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ इस्कॉन वारच्छा सूरत मंदिर के अध्यक्ष पं.श्री मूर्तिमानदास जी महाराज ने बताया जो स्थानीय गोकुलम वाटिका में स्व.श्रीमती सुमति- रमेशचंद गुप्ता (रम्य ब्रजधाम दास) मौलिक गुप्ता (भटनावर वाले)परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस की कथा के वृतान्त को श्रीकृष्ण-सुदामा कथा चरित के माध्यम से श्रवण करा रहे थे।
इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान रमेशचंद गुप्ता, मौलिक गुप्ता सहित परिजनों महेश, अशोक, अवधेश, आलोक, बृजेश, दिनेश, डॉ.अतुल,डॉ.अरूण, श्रीमती अर्चना-राकेश, श्रीमती कविता-स्व.प्रमोद, श्रीमती कमलेश-महेश, श्रीमती हेमलता-प्रदीप, श्रीमती शोभा-सुदामा, श्रीमती अंजू-रीतेश,श्रीमती मीनाक्षी-महेन्द्र, श्रीमती रिचा-द्वारिका आदि के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन किया गया तत्पश्चात व्यासपीठ से कथावाचक पं.श्री मूर्तिमानदास जी महाराज से आर्शीवाद लिया गया। इस दौरान कथा के विभिन्न वृतान्तों पर पं.मूर्तिमोहनदास जी महाराज के द्वारा बड़े ही सरल शब्दों में श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया गया उन्होंने संपूर्ण कथा में ईश्वरीय भक्ति और अन्य प्रसंगों पर अपने आर्शीवचन दिए। कथा का समापन आज 10 अप्रैल को होगा जहां हवन-पूर्णाहुति के पश्चात प्रसाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन यजमान परिवार के द्वारा किया गया है।
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