सागर । नाबालिग को धोखे से ले जाकर दुष्कर्म ़करने वाले आरोपी नीलेष पटैल थाना-राहतगढ़ ़को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-376 (3) के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, एवं धारा- 3(2)(व्ही) अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/बालिका द्वारा थाना राहतगढ़ में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 28.05.2021 को वह उसके खेत गई थी तथा शाम 7ः00 बजे उसके पिता की मोटरसाईकिल से दूध लेकर वापस घर जा रही थी कि रास्ते में अभियुक्त नीलेश पटेल मिला । अभियुक्त नीलेष ने बालिका के पिता को बुलाकर मीट बनाने के लिए कहा और कहने लगा कि वह बालिका को छोड़ आता है और सामान भी ले आता है। फिर अभियुक्त बालिका को उसके पिता की मोटरसाईकिल से सुमरेडी ले गया और फिर वापस रोड पर लाया और वह बालिका को मोटरसाईकिल से घुमाता रहा फिर अभियुक्त बालिका को सीहोरा ले गया बालिका ने अभियुक्त से उसे छोड़ने के लिये कहने पर भी उसने बालिका को नहीं छोड़ा बल्कि वहां उसने खेत में बालिका के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किये तत्पश्चात् वह बालिका को खेत में छोड़कर भाग गया। घटना के बाद बालिका ने घर आकर उसके परिजनों को घटना के बारे में बताया फिर बालिका के परिजन उसे लेकर चौकी गये जहॉ अभियुक्त के विरूद्ध घटना के संबंध में रिपोर्ट लेख कराई गई।
उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-राहतगढ़ द्वारा धारा- 376(1), 376(3) भा.द.वि. एवं 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 एवं धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही-ए) अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
महिला कर्मचारी के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । महिला कर्मचारी के साथ छेड़छाड ़करने वाले आरोपी सर्वेष तिवारी ़को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती मीनू पचौरी दुबे, जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-354 के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती अंजली नायक ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/ अभियोक्त्री ने थाना गोपालगंज में रिपोर्ट लेख कराई कि वह स्टेनो के पद पर कार्यरत है। दिनांक 16.03.2013 को वह अपने कर्तव्य पर उपस्थित थी तभी सर्वेश तिवारी आये एवं एक आवेदन अभियोक्त्री को दिया गया जिसमें लेख था कि उससे 10 मिनिट व्यक्तिगत रूप से बात करना चाहते है। आवेदन पढ़कर लेने से इंकार किया तो सर्वेश तिवारी ने उसे धमकी दी और फिर वह वहां से चला गया। दिनांक 21.03.2013 को शाम करीब 06.30 बजे जब वह कार्यालय से अपने निवास पैदल जा रही थी तो आरोपी उसका पीछा करते हुये उसके घर पर पहुंच गया और बोला कि आपसे अकेले में बात करनी है और अभियोक्त्री का हाथ बुरी नियत से पकड़ा तो अभियोक्त्री ने अपना हाथ झपटकर कहा कि आपसे बात करने के लिये मना कर चुकी हूं। फिर आरोपी उसे अष्लील शब्द कहते हुये चला गया । उसके बाद से दूसरे दिन न्यूज चेनल पर अभियोक्त्री के संबंध में एक टाईटल चल रहा था जिसके बारे मे उसे उसके साथी स्टाफ द्वारा बताया गया जिससे उसे काफी मानसिक प्रताड़ना हुई।
उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गोपालगंज द्वारा धारा- 509, 354,294 भा.द.वि. एवं धारा-66(ए) सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीमती मीनू पचौरी दुबे, जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
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