सागर । नाबालिग के साथ छेड़छाड ़करने वाले आरोपी कुलदीप उर्फ गप्पू ़थाना-बीना ़को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-354 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-354-डी के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा-341 के तहत 01 माह का साधारण कारावास व पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/बालिका द्वारा दिनॉक- 11.01.2017 को थाना-बीना में रिपोर्ट़ लेख कराई कि अभियुक्त काफी समय से उसका स्कूल आते.जाते समय पीछा करता था। दिनांक 11.01.2017 को वह ऑटो में बैठकर दिन में साढ़े 10 बजे उसकी सहेली के साथ स्कूल जा रही थी एवं उसके पिता भी उसी ऑटो में उसके साथ बैठे थे कि तभी रास्ते में अभियुक्त कुलदीप उर्फ गप्पू पैदल.पैदल आया और उसने उक्त ऑटो को आवाज देकर रूकवा लिया और बालिका का बुरी नियत से दाहिना हाथ पकड़ लिया। बालिका के चिल्लाने पर उसके पिता ने देखा तो अभियुक्त दौड़कर भाग गया। अभियुक्त की तलाश करने पर वह नहीं मिला। शाम को अभियुक्त बालिका को कोचिंग पर मिला और बालिका के पिता को देखकर भाग गया। फिर बालिका उसके माता पिता के साथ थाना रिपोर्ट करने गई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया,
विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-बीना़ द्वारा धारा-341ए, 354 भा.द.वि. एवं 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012, धारा-3;1द्ध;इद्ध अनुण् जाति व जनजाति ;अत्याण् निवाण्द्ध अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
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