नवकुण्डीय श्रीविष्णु महायज्ञ के साथ आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में संस्कारों की नींव को मजबूत करने का बताया मार्गशिवपुरी- जिस प्रकार से मनुष्य धर्म-कर्म के क्षेत्र में अपने कार्यों को बड़ी लगनता के साथ पूर्ण करता है उसी प्रकार से मनुष्य को जीवन में कुछ करें अथवा ना करें लेकिन बच्चों को संस्कारित जरूर करें, यह संसार चलायमान है और इस संसार से हरेक प्राणी को एक ना एक दिन विदा लेना है लेकिन अपने संस्कारों की नींव को यदि मजबूत करोगें तो जीवन में जीवंत तो याद रहोगे ही साथ ही मृत्यु पश्चात भी आपके संस्कारों का यश चहुंओर फहराएगा, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा अवश्य प्रदान करें, माता-पिता, गुरूजनों का सम्मान और सभी का आदर करना बच्चों को अवश्य आना चाहिए।
बच्चों में संस्कारों की इस नींव को मजबूत करने का मार्ग बताया कि श्रीबांकड़े हनुमान सेवा संस्थान शिवपुरी द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा वाचक डा.गिरीश जी महाराज ने जो स्थानीय प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र श्रीबांकड़े हनुमान मंदिर पर आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा एवं नवकुण्डीय विष्णु महायज्ञ कार्यक्रम में अपने आर्शीवचन व्यासपीठ से प्रदान कर रहे थे। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं को सचित्र वर्णन सहित यजमानों को कथा का श्रवण कराया गया और सभी नवकुण्डीय श्रीविष्णु महायज्ञ में शामिल यजमानों से आह्वान किया किया कि वह जिस प्रकार से आहुतियां विश्व शांति, सुख-समृद्धि, यश, वैभव प्राप्ति के लिए प्रदान कर रहे है उसी प्रकार से घर-परिवार और समाज में संस्कारों का भी समावेश हो इसके लिए भी आहुतियां दें।
कथा में आचार्यत्व का दायित्व श्रीबांकड़े हनुमान मंदिर के महंत गिरिराज जी महाराज के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण विधि से किया गया तत्पश्चात श्रीविष्णु नवकुण्डीय महायज्ञ में शामिल यजमानों के द्वारा श्रीमद् भागवत पूजन किया गया और इसके बाद श्रीमद् भागवत कथा का वाचन व्यासपीठ से डॉ.गिरीशजी महाराज के द्वारा कथा के विभिन्न प्रसंगों को सांसारिक जीवन से ओतप्रोत होते हुए श्रवण कराया। कथा समापन की ओर से जहां समस्त धर्मप्रेमीजनों से कथा स्थल श्रीबांकड़े हनुमान मंदिर पहुंचकर अधिक से अधिक संख्या में धर्मलाभ लेने का आग्रह किया गया है।
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