गोपाल पुर यहाँ पर चल रही श्रीमद भागवले कव्यान्तरीत चल रही श्री वल्लभाचार्य जी के वंशजशिवपुरी-गोरखामी श्री दर्शन कुमार जी महोदय श्री ने आज प्रथम दिवश में बताया की श्रीमद भागवत भगवान का वाडुभय स्वमय है। आप श्री ने भागवत के 12 स्कन्ध की तुलना भगवान के द्वादस अंगो से करते हुवे बताया की भगवान हमारा वरण करने को तैयार है लेकिन हमे भी भगवान के शरण में जाने की आतुरता होता चाहिए। आप श्री ने बताया की परीक्षत राजा को वाणी चा द्वारा आप लगने के कारण भगवान ने वाणी स्वरूप से प्रगट होकर राजा की विपत्ति (श्राप) का समग्र किया महाप्रभू श्री मद् वल्लभाचार्य जी ने हम पर कृपा कर श्रीमद भागवत के गुठार्थों को प्रकाशन प्रगट किया आप भी वाकपति है एवं वाकपति ही गूढान जगह कर सकते है।
गोपाल पुर यहाँ पर चल रही श्रीमद भागवले कव्यान्तरीत चल रही श्री वल्लभाचार्य जी के वंशजशिवपुरी-गोरखामी श्री दर्शन कुमार जी महोदय श्री ने आज प्रथम दिवश में बताया की श्रीमद भागवत भगवान का वाडुभय स्वमय है। आप श्री ने भागवत के 12 स्कन्ध की तुलना भगवान के द्वादस अंगो से करते हुवे बताया की भगवान हमारा वरण करने को तैयार है लेकिन हमे भी भगवान के शरण में जाने की आतुरता होता चाहिए। आप श्री ने बताया की परीक्षत राजा को वाणी चा द्वारा आप लगने के कारण भगवान ने वाणी स्वरूप से प्रगट होकर राजा की विपत्ति (श्राप) का समग्र किया महाप्रभू श्री मद् वल्लभाचार्य जी ने हम पर कृपा कर श्रीमद भागवत के गुठार्थों को प्रकाशन प्रगट किया आप भी वाकपति है एवं वाकपति ही गूढान जगह कर सकते है।
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