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Sunday, February 19, 2023

प्रेम के भूखे होते है भगवान : गो. श्री गोवर्धनेश जी


श्रीमद् भागवत कथा में सुनाया वृतान्त और बताई भगवान की महिमा

शिवपुरी-भागवत की तीन भाषा है परमत  भाषा, का अर्थ है लौकिक भाषा एवं समाधी भाषा परमत भाषा का अर्थ है किसी की कही हुई बात को कहना 7 जीव के अन्दर जब तेरा और मेरा आ जाता है तब महाभारत होता है। भगवान प्रेम के भूखे होते है। इसीलिए आप दुर्योधन के व्यंजन का त्याग कर विदुरजी के घर छीलके आरोगते है। आप श्रीने बताया की जब मनुष्य का विनाश आता है तब उस की बुद्धी विपरित हो जाती है। इस कारण दुर्योधन विदुर जी का अपमान करता है। ओर विदुर जी अपनी पत्नी शुलमा जी को ही नही अपितु कौरवो के सदकर्म एवं पुनय भी साथ लेगये। विदुर जी ही नही हमारे घर मे रहा हुआ कोई भी सदस्य जो धर्मनिष्ठ हो उसका अपमान नही करना चाहिए इसी प्रकार त्रेतायुग मे जब रावण ने विभिषण जी का त्याग किया तो सम्पूर्ण रावण कुल का नाश हुआ यह भक्ति का प्रभाव है कि भक्त के द्वारा किया हुआ 

सत्कर्म हमारी रक्षा करता है। आपने उद्धव विदुर जी मिलन प्रसंग मे बताया की इन का मिलन श्री यमुना के तट पर हुआ भक्तो का मिलन हमेशा श्री यमुना तट पर होता है। एवं ज्ञानी भक्तो का मिलन गंगा तट पर होता है। ब्रज प्रदेश प्रेमी कृष्ण भक्तो की मिलन स्थली है। अपरोक्त विचार श्रीमद् वल्लभाचार्य जी के वंशज गो. श्री गोवर्धनेश  महोदय श्री श्री दर्शन कुमारजी ने यहां चल रही श्रीमद भागवत कथान्तर्गत प्रगट किए। मनोरथी परिवार नाथूराम धाकड़, महेश धाकड़ एवं समस्त मनोरथी परिवार शामिल है जिनके द्वारा यह आयोजन किया गया। यहां प्रतिदिन भगवान की विभिन्न लीलाओं का वृतान्त कथा स्वरूप में व्यासपीठ से श्रीमद् बल्लभाचार्य जी महाराज के मुखारबिन्द से किया जा रहा है।

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