वक्ताओं के विचारों के साथ नेशनल सेमीनार का हुआ समापनशिवपुरी-आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का जो विजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देखा है उसको साकार करने के लिए आईपीआर अर्थात बौद्धिक संपदा अधिकार महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं। उक्त उदगार बौद्धिक संपदा अधिकार के नए आयामों पर आयोजित नेशनल सेमिनार को संबोधित करते हुए रीवा लॉ कॉलेज से आये प्रोफेसर लोकनारायण मिश्रा ने व्यक्त किए। प्रोफेसर लोकनारायण मिश्रा ने कहा कि नए अन्वेषण को कमर्शियल वैल्यू में रूपांतरित करने के लिए पेटेंट और आईपीआर जरूरी हैं। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार और ह्यूमन राइट्स के मुद्दों के अंतर्विरोध की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक तरफ आईपीआर हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हमारे पास ह्यूमैनिटी (मानवता) का भी एक पहलू है। जो जेनेरिक दवा सस्ती मिल जाती है वही दवा आपको उसके आईपीआर रजिस्ट्रेशन के चलते 200-250 रुपये में भी मिलती है। प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज के प्रोटेक्शन के लिए आईपीआर लॉ में प्रावधान किये गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हल्दी का एंटीसेप्टिक गुण, हीलिंग का गुण आपकी रिसर्च से नहीं आया है बल्कि कम्यूनिटी की रिसर्च से आया है। आर्थिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए आत्मनिर्भरता की अवधारणा उभरकर कोविड त्रासदी के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन से उभरकर सामने आई है। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के 6 स्तम्भ तभी सफल और साकार हो सकते हैं जब हम आईपीआर पर ध्यान देंगे।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से आये प्रोफेसर विकेश राम त्रिपाठी ने इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम पर शानदार व्याख्यान देते हुए कहा कि हल्दी एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है। कम्यूनिटी का जो ट्रेडिशनल नॉलेज है, जो लोकगीत है वो हमें नहीं पता कब से गाया जा रहा है। किसी ने यदि लोकगीत का कॉपीराइट करा लिया तो आप उस लोकगीत को नहीं गा सकते। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज की चोरी को रोकने के लिए भारत को डब्ल्यूटीओ में लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी है। गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर से आये प्रोफेसर सागर जैसवाल ने कहा कि अविष्कार और नवाचारों ने मानव जीवन को सुखद बना दिया है और क्रान्तिकारी रूप से बदल दिया है, अब ये हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। आर्थिक विकास में तकनीकी विकास का जो योगदान है वो आज बहुत ज्यादा है। जिन देशों का आर्थिक विकास हुआ है वो केवल प्राकृतिक संसाधनों से नहीं बल्कि तकनीकी विकास से हुआ है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से आये प्रोफेसर विकेश राम त्रिपाठी ने इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम पर शानदार व्याख्यान देते हुए कहा कि हल्दी एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है। कम्यूनिटी का जो ट्रेडिशनल नॉलेज है, जो लोकगीत है वो हमें नहीं पता कब से गाया जा रहा है। किसी ने यदि लोकगीत का कॉपीराइट करा लिया तो आप उस लोकगीत को नहीं गा सकते। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज की चोरी को रोकने के लिए भारत को डब्ल्यूटीओ में लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी है। गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर से आये प्रोफेसर सागर जैसवाल ने कहा कि अविष्कार और नवाचारों ने मानव जीवन को सुखद बना दिया है और क्रान्तिकारी रूप से बदल दिया है, अब ये हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। आर्थिक विकास में तकनीकी विकास का जो योगदान है वो आज बहुत ज्यादा है। जिन देशों का आर्थिक विकास हुआ है वो केवल प्राकृतिक संसाधनों से नहीं बल्कि तकनीकी विकास से हुआ है।
सेमिनार को कर्नाटक यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर एस.टी. बागलकोटी और इंदौर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से प्रोफेसर रेखा आचार्य ने भी संबोधित किया। नेशनल सेमिनार के समापन अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा, जनभागीदारी समिति अध्यक्ष अमित भार्गव उपस्थित रहे। प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार ने स्वागत भाषण दिया। दो दिवसीय सेमिनार की रिपोर्टिंग और आभार आयोजन सचिव प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूनम सिंह और प्रो. ज्योति दिवाकर ने किया। सेमिनार के संयोजक प्रोफेसर पवन श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
No comments:
Post a Comment