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Shishukunj

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Monday, January 30, 2023

विश्व कुष्ठ दिवस पर आदिवासी बस्ती बड़ोदी में जागरूक्ता कार्यक्रम अयोजित


किशोरी बालिकाओं एवम समुदाय को कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करने की शपथ दिलाई

शिवपुरी। विश्व में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाना है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोडऩे के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। अधिक जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक रवि गोयल ने कहा की शक्ति शाली महिला संगठन द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बडोदी में समुदाय को कुष्ठ रोग के  बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम सह शपथ दिलाई गई। उन्होंने कहा की भारत में प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है, जिनकी हत्या आज के ही दिन 1948 में कर दी गई थी। इस दिन को फ्रांसीसी मानवीय राउल फोलेरो  ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोगो से पी?ित लोगों की सहायता की थी। 

आगनवाड़ी कार्यकर्ता रजनी सेन ने समुदाय से पूछा की कुष्ठ रोग किसे कहते है? तो समुदाय नही बता पाया तक उन्होंने कहा की को? को ही कुष्ठ रोग कहा जाता जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं कि वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु कि खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को हन्सेन रोग भी कहा जाता है। यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। यह रोग रोगी के शरीर में इतनी धमी-धमी फैलता हैै कि रोगी को कई बर्षोंं तक पता भी नहीं चलता है और यह रोग रोगी के शरीर में पनपता रहता हैै। यह रोग शरीर को लंबे समय तक हवा व खुली धूप ना मिलना, लंबे समय से गंदा व दूषित पानी पीते रहना, अधिक मात्रा में मीठी चीजों का सेवन करते रहना और नशे का बहुत अधिक सेवन करना के कारण हो सकता है।

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